मुनि श्री प्रणम्य सागर जी द्वारा साहित्य सृजन
अभीक्ष्ण ज्ञान उपयोगी, प्राकृत भाषा मर्मज्ञ परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज चार भाषाओं – हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत और अंग्रेजी का ज्ञान रखते हैं।
इन चार भाषाओं में पूज्य मुनि श्री ने 100 से भी अधिक ग्रंथों, टीका ग्रंथों, काव्यों, पद्यानुवादों, स्तोत्र आदि की रचना की।
पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की लेखन क्षमता अद्भुत है। उनकी कलम से निरंतर नए-नए ग्रंथों और कृतियों की रचना होती रहती है। ऐसा लगता है ज्ञान का अथाह सागर पूज्य मुनि श्री अपने में समाए हुए हैं। उनके ज्ञान की पराकाष्ठा को देखकर ही — अभीक्ष्ण ज्ञान उपयोगी, वर्तमान में श्रुत केवली, जैन दर्शन के परम ज्ञाता, प्राकृत भाषा मर्मज्ञ, महा योगीराज, ज्ञान के सागर, विद्या के सागर आदि उपाधियों से उन्हें विभूषित किया जाता है।
पूज्य मुनि श्री के साहित्य को अनेक भागों में बांटा गया है –
(1) संस्कृत भाषा में टीका ग्रंथ,
(2) हिंदी में अनुवादित ग्रंथ,
(3) पद्यानुवाद,
(4) प्रवचन ग्रंथ,
(5) संस्कृत भाषा में मौलिक काव्य ग्रंथ,
(6) प्राकृत भाषा में मौलिक काव्य ग्रंथ,
(7) अन्य मौलिक कृतियां,
(8) संकलन,
(9) अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें आदि

पूज्य मुनि श्री के द्वारा रचित साहित्य में अनेक तरह की varieties देखने को मिलती हैं। इसमें संस्कृत भाषा में श्री वर्धमान स्तोत्र, स्तुति पथ, श्रायस पथ, अनासक्त महायोगी जैसी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। दूसरी तरफ प्राकृत भाषा में सोलह कारण भावनाओं पर आधारित तित्थयर भावणा, धम्मकहा, गोम्मटेस पंडिमा भत्ति जैसी दुर्लभ और अनोखी कृतियां हैं।
संस्कृत भाषा और उसके व्याकरण का ज्ञान पूज्य मुनि श्री ने स्वयं अभ्यास द्वारा प्राप्त किया और इन भाषाओँ में अभूतपूर्व कुशलता प्राप्त की। प्राचीन और महत्वपूर्ण अनमोल ग्रंथों पर पूज्य मुनि श्री ने इसी अद्भुत लेखन क्षमता का उपयोग करते हुए, संस्कृत टीकाएँ लिखकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इन ग्रंथों पर एक लंबे समय के बाद इस तरह की संस्कृत टीकाएँ लिखी गई है।
युवाओं के लिए विशेष रूप से Fact of Fate, खोजो मत पाओ, लक्ष्य, जिंदगी क्या है, बेटा जैसी पुस्तकें पूज्य मुनि श्री ने लिखी हैं। योग के ऊपर अर्हम ध्यान योग पुस्तक पाठकों को आकर्षित करती है।
इसके अतिरिक्त अन्तर्गूंज (भजन एवं हाइकू) और लहर पर लहर (कविता संग्रह) अपने आप में बहुत interesting और अनुपम रचनाएं हैं। सभी ग्रंथों और रचनाओं की भाषा बहुत सरल है, शैली बहुत रोचक और स्पष्ट है।
इस साहित्य में अनेकों उदाहरणों के माध्यम से विषय को समझाया गया है, साथ ही जीवन में आने वाली अनेक समस्याओं और मन में उठने वाली जिज्ञासा और प्रश्नों का solution और जवाब भी हमें इन ग्रंथों और रचनाओं में मिलता है। कुछ रचनाएं छोटी होने के बावजूद भी जैसे “गागर में सागर” को समाए हैं। अनेक प्राचीन ग्रंथों के प्रवचन ग्रंथों में, कठिन समझे जाने वाले विषय को इतना easy बना दिया गया है कि पाठक आश्चर्य से भर जाते हैं।
नए-नए ग्रंथ और टिकाओं की रचना कर जैन आगम को विकसित करने और उसे विविधताओं से भरने में पूज्य मुनि श्री का अमूल्य योगदान है और यह योगदान निरंतर जारी है।
पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा रचित साहित्य अब Online भी प्राप्त किया जा सकता है। Online साहित्य प्राप्त करने के लिए क्लिक करें–
नीचे दी गई list में अनेक ग्रन्थों और कृतियों का pdf download किया जा सकता है और ग्रन्थ के नाम पर click करके open होने वाले नये पेज पर ही उस कृति को पढ़ा जा सकता है और book cover का image भी देखा जा सकता है—-
.