भक्ति की परंपरा प्राचीन काल से ही मानव समुदाय के जीवन का अभिन्न अंग रही है। भक्ति करने के अनेक माध्यम हैं जिससे भक्ति भाव के सुमनों को अपने अराध्य के चरणों में समर्पित किया जाता है। पूजा, वन्दना, स्तुति, स्तोत्र, भजन, अष्टक, आरती, कीर्तन आदि ऐसे ही भक्ति के साधन हैं।
स्तोत्र भक्ति का वह माध्यम है जिसमें अपने आराध्य के गुणगान और महिमा का वर्णन करते हुए, हृदय की गहराइयों से असीम भक्ति और श्रद्धा के भाव प्रकट किए जाते हैं। ये गहन भक्तिभाव स्तोत्र को अतिशय पूर्ण बना देते हैं।
परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने अपनी अनोखी लेखनी से भक्ति की पराकाष्ठा से भरपूर, हृदयस्पर्शी, मनभावन, अद्भुत, श्री वर्धमान स्तोत्र की रचना की है। इस वर्धमान स्तोत्र का पाठ करते करते, हृदय में भक्ति और आनंद के स्रोत फूट पड़ते हैं। ऐसा अतिशय इस स्तोत्र का अनुभूति में आता है।
इसके अतिरिक्त पूज्य मुनि श्री ने कल्याण मंदिर स्तोत्र व अन्य बहुत से स्तोत्रों का हिंदी पदों में सुन्दर अनुवाद किया है जिससे भक्तजन इन स्तोत्रों की हिंदी समझ कर, अपने भक्तिभावों में और ज्यादा विशुद्धि को प्राप्त कर सकें।
इतना ही नहीं पूज्य मुनि श्री ने *स्तुति पथ* कृति में पूज्य पुरुषों के गुणों की महिमा का गुणगान करते हुए अनेक अष्टक भी लिखे हैं। पूज्य मुनि श्री द्वारा रचित कुछ स्तोत्र और अष्टक जो उन्हीं की मधुर, हृदयस्पर्शी आवाज में उपलब्ध हैं, यहाँ संकलित करने का प्रयास किया गया है।
नीचे दी सारणी में स्तोत्र आदि के नाम पर क्लिक करके उसको पढ़ा जा सकता है, पूज्य मुनि श्री की आवाज में सुना जा सकता है और वीडियो को देखा जा सकता है—
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S. No. | Title | Audio | PDF Download |
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1 | श्री वर्धमान स्तोत्र | ||
2 | कल्याणमन्दिर स्तोत्र | ||
3 | विद्याष्टकम | ||
4 | शान्त्याष्टकम् (आचार्य श्री शान्तिसागर जी स्तुति अष्टक) | ||
5 | तत्त्वार्थ सूत्र एवं गाथा पाठ |