दीक्षा दिवस एवं पंचकल्याणक महामहोत्सव

कछार गांव (कटनी)

       संसार सागर में अनेक भवों में भटकते हुए इस जीव को बहुत ही मुश्किल से यह मनुष्य जन्म मिलता है।  इस मनुष्य जन्म को पाकर संयम मार्ग पर चलना भी कठिन होता है, संयम मार्ग पर चलते हुए मुनि दीक्षा ग्रहण करना तो और भी ज्यादा दुर्लभ होता है और कठिन तप करते हुए, परिषहों को सहते हुए, जब मुनि दीक्षा के 25 वर्ष पूर्ण हो जाते हैं, तब वह स्वर्णिम पल आता है, जिसे रजत दीक्षा दिवस कहा जाता है। 

        गुरुजन के लिए यदि कोई दिवस सबसे महत्वपूर्ण होता है तो वह उनका दीक्षा दिवस ही होता है। यहां तक कि वे अपनी आयु की गणना भी दीक्षा दिवस से ही करते हैं, संयम मार्ग से पूर्व के वर्षों को तो वह ऐसा मानते हैं कि वह तो निरर्थक ही चले गए। वे कहते हैं- हमारा जन्म तो उसी दिन हुआ, जिस दिन यह जैनेश्वरी मुनि दीक्षा हमने ग्रहण की है। वास्तव में जैनेश्वरी मुनि दीक्षा, इस मनुष्य जन्म का सबसे कीमती उपहार होती है। गुरुओं की दीक्षा के इस दिवस को भक्तजन प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाते हैं और जब दीक्षा का रजत वर्ष होता है, तो सभी भक्तों का उत्साह और उल्लास चरम पर होता है।

         इस वर्ष, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज एवं चन्द्र सागर जी महाराज की संयम दीक्षा के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में, उनके इस दीक्षा दिवस को रजत दीक्षा महोत्सव के रूप में मनाया गया। कटनी जिले में स्थित, कछार गांव को यह सौभाग्य मिला कि वहां पर यह पावन आयोजन हुआ। इस स्वर्णिम दिवस के लिए अनेक समाजों की तरफ से तैयारियां की गईं, दूर-दूर से आए भक्तों का यहां मेला जुड़ा और भारी जनसमूह एकत्रित हुआ। 

      कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट आदि मांगलिक क्रियाओं के द्वारा हुआ। इसके बाद अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। रांझी, कछारगांव और पनागर  की बालिकाओं ने सुन्दर नृत्य के द्वारा अपनी प्रस्तुतियां दी। छोटे बालक भी पीछे नहीं रहे, निकलंक शरणालय के बच्चों की प्रस्तुति और छोटे बालकों द्वारा प्राकृत गाथा एवं तत्त्वार्थ सूत्र का पाठ सभी को प्रभावित कर रहा था। 

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       लघु नाटिका सोमा सती  को सभी ने सराहा। नाटिका की विषय वस्तु पता होने पर भी, यह नाटिका रोचक लगी। सपेरे के ग्रामीण भाषा शैली में संवाद और अभिनय ने सभी को  खूब हंसाया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद प्राकृत टीम, अर्हं ध्यान योग टीम, अर्हं गुरुकुलं और अर्हं जीव दया भारत टीम ने अपनी उपलब्धियों और भावी  योजनाओं से सभी को अवगत कराया।

            इसके बाद सुप्रसिद्ध गायकों के स्वर में, पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा प्राकृत भाषा में रचित बारह भावना और नव देवता स्तुति की प्रस्तुति के वीडियो लॉन्च किए गए । इसके साथ ही अर्हं ध्यान योग की वेबसाइट भी इस दिन लॉन्च हुई।

        इसके पश्चात समय आया, पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा रचित ग्रन्थों और कृतियों के विमोचन का, यह विमोचन इस दिवस का अभूतपूर्व क्षण था। एक नहीं, अपितु 22 पुस्तकों का विमोचन इस दिन हुआ।  एक के बाद एक पुस्तक का विमोचन होता रहा और उपस्थित जनसमुदाय आश्चर्यचकित होकर उत्साह से भरता गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे एक के बाद एक अनमोल रत्न पूज्य मुनि श्री के ज्ञान के खजाने से निकलकर बाहर आ रहे हों। जनसमुदाय प्रफुल्लित हो रहा था क्योंकि पूज्य मुनि श्री के खजाने से निकले रहे ये रत्न, सभी के लिए अनमोल उपहार की तरह थे, जिन्हें पूज्य मुनि श्री ने आज के पावन दिन, जिनागम  को समर्पित  किया। विमोचन का  एक नया रिकॉर्ड ही इस दिन बन गया। विमोचन हुई 22 पुस्तकों में से, 20 पूज्य मुनि श्री द्वारा रचित ग्रंथ और कृतियाँ थीं और दो पूज्य मुनि श्री के साहित्य पर हुई PHD से सम्बन्धित पुस्तकें थीं। 3 संस्कृत शतक और एक प्राकृत शतक का ग्रंथ भी पूज्य मुनि श्री द्वारा रचित ग्रंथों में सम्मिलित थे। इतने अमूल्य ग्रन्थों के विमोचन के साथ यह दिन सदा स्मरणीय रहेगा क्योंकि आज जिनागम भी इन रत्नों से जगमगा गया।  

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       पुस्तक विमोचन के बाद मुनिद्वय की दिव्य देशना श्रवण करने का शुभ अवसर जन समुदाय को प्राप्त हुआ। पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने इस दिवस को गुरु उपकार दिवस के नाम से पुकारा। गुरु के उपकार को याद करते हुए, उन्होंने कहा- गुरु महाराज के दिए संस्कार आत्मा के प्रदेशों में इतनी गहराई से समा गए हैं कि हमारा यह जीवन सफल हो गया, यह गुरु की ही कृपा है कि यह आत्मा इस संयम मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ सका। उन्होंने गत वर्ष के दीक्षा दिवस को भी स्मरण किया, जब गुरु महाराज का प्रत्यक्ष सानिध्य, आशीर्वाद और दिव्य देशना श्रवण करने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ था।  पूज्य मुनि श्री चन्द्र सागर जी महाराज ने भी संस्मरण सुनाकर, अपने गुरु महाराज के उपकार को याद किया, किस प्रकार गुरुदेव ने आहार के लिए अंजुलि बनाना उन्हें सिखाया,  इसका रोचक प्रसंग उन्होंने सुनाया। अन्त में मंगल आरती के साथ इस स्वर्णिम दिवस का समापन आनन्द और हर्षोल्लास के साथ  हुआ।

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         कटनी जिले में स्थित छोटा सा स्थान है- कछार गांव, केवल 25 जैन परिवारों का समाज, पर इस छोटे से गांव का, बड़ा सा सौभाग्य तो देखो, केवल रजत दीक्षा दिवस मनाने का पावन अवसर ही नहीं अपितु पूज्य मुनिद्वय के सानिध्य में पंचकल्याणक महोत्सव का आशीर्वाद भी इस गांव को प्राप्त हुआ। 7 फरवरी से 13 फरवरी 2023 तक परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के आशीर्वाद से पूज्य मुनिद्वय के सानिध्य और बा. ब्र. विनय भैया जी (बंडा) के विशिष्ट प्रभावी निर्देशन में, पंचकल्याणक महोत्सव यहां आयोजित हुआ। इससे पूर्व जो लोग कछार गांव का नाम भी नहीं जानते थे, उनको भी इस गांव का नाम याद हो गया।

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       इस पंचकल्याणक में भगवान ऋषभदेव के जीवन चरित्र का अनुभव करने के साथ-साथ, पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के श्री मुख से श्री राम कथा श्रवण करने का सौभाग्य भी भक्तों को मिलता रहा। इतना ही नहीं, इस पंचकल्याणक की एक अभूतपूर्व विशेषता यह रही कि जैन समाज के अतिरिक्त, अन्य समाजों का भारी जनसमूह भी इस पंचकल्याणक में उपस्थित हुआ। कछार गांव ही नहीं, आसपास के अनेक गांवों का जन समुदाय भी यहां पहुॅंचा। उन्होंने पंचकल्याणक की क्रियाओं को ध्यान से देखा, नया ज्ञान प्राप्त किया और आत्म कल्याण के मार्ग को भी जाना।

इस प्रकार  जिन प्रभावना का, एक बहुत बड़ा माध्यम यह पंचकल्याणक बना। रजत दीक्षा महोत्सव और पंचकल्याणक महोत्सव, इन दोनों भव्य आयोजनो के साथ ही, कछारगांव का नाम भी जनमानस की स्मृति के पन्नों में सदा के लिए अंकित हो गया।

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