भजन

प्राचीन समय से ही भजन हमारी संस्कृति और समाज का हिस्सा रहे हैं। भजन वह माध्यम है जो व्यक्ति को अध्यात्म से जोड़ता है, मन को शांति और हदय को आनंद से भर देता है। अनोखी प्रतिभा के धनी परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने जहां एक ओर संस्कृत, प्राकृत, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में अनेकों ग्रंथों व कृतियों की रचना की है, वहीं दूसरी ओर अनेक सुंदर भजनों की भी रचना की है। ये भजन मन को प्रिय लगते हैं और हृदय को छू लेते हैं। छोटे-छोटे ये भजन कम शब्दों में अंदर अद्भुत ज्ञान, चिंतन और स्वाध्याय का खजाना समाए हुए हैं और कम शब्दों में ही बड़ा संदेश दे देते है। इन भजनों को अनेक प्रकार की category में रखा जा सकता है-

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को समर्पित भजन-

अदभुत लेखन क्षमता रखने वाले पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने गुरु भक्ति में लीन होकर अनेक भजन अपने गुरु महाराज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को समर्पित किए हैं- मुख की छटा की छवि..,जो स्वयं मोक्ष पथ पर… , गुरू के नाम का कर ले जाप.., ओ छाए हुए मेघो .., विद्यासागर इस धरती पर… आदि ऐसे ही भजन है। गुरु से दूर होकर पहला चुर्तमास और मन में उठती गुरु की यादों की तरंगेऔर इन्हीं यादों के साथ लिखा गया भजन है- समकित सावन भायो.. ।

आचार्य प्रवर ज्ञान सागर जी महाराज को समर्पित भजन—

अपने दादा गुरु आचार्य प्रवर ज्ञानसागर जी महाराज के लिये श्रद्धा भाव हदय में संजोकर, उनके विराट व्यक्तित्वऔर जीवन को याद करते हुए , इन दो भजनों- अस्त हो रहे ज्ञान सूर्य ने.., ग्रीष्म की धूप में.., की रचना पूज्य मुनि श्री ने की है। ये दोनों भजन श्रोताओं को गुरु भक्ति के रस में डुबो देते हैं।

भक्ति भजन-

श्रद्धा की आंखों से देखो…, इस भजन को सुनकर श्रोता इतने भावविभोर हो जाते हैं कि उनकी आंखों से आंसू निकल आते हैं। अरिहन्तों की प्रतिमाओं का…, अरहन्त भजन कर प्यारे …, मुझे अब किसी की जरूरत नहीं…, आदि भजन भक्ति के आनन्द का अनुभव करा देते हैं।

वैराग्य भजन-

जिंदगी जिंदा कहाँ है…, बनते बनते बात…, मन तू भ्रम में काहे भ्रमावे…, हे प्रभु कब मैं सो मुनि बनहूँ…, आदि भजन संसार की असारता को सामने रखकर वास्तविकता का चिंतन करने पर मजबूर कर देते हैं।

आत्म चिन्तन भजन-

मैं हूं वो नहीं …, शुद्ध चिदूपोहम.., भजन भेदज्ञान करके अपनी आत्मा की ओर झांकने का संदेश देते हैं।

प्रेरणादायक भजन-

भगवान से जाकर मिलेंगे.., वृक्षों सा लहराना सीखो…, आओ बच्चो तुम्हे सिखाये…,जो हो सो हो…, उत्साह बढ़ाने वाले motivational भजन हैं जो कठिन परिस्थितियों का धैर्य से सामना करने के लिए प्रेरणा देते हैं।

समाधि भावना भजन-

मेरे भगवन मुझे एक बार…, ये भजन श्रोतागण को इतना प्रभावित कर जाता है कि जिसको समाधि भावना भाने का मन करता है वो इसको चलते फिरते गुनगुनाता रहता है। ये भजन लोगों के दिल दिमाग में बस जाता है।

संसारिक दशा दिखाते भजन-

क्यों गम में है.., जब से घर मे टी.वी. आई…, दुनिया में तरक्की…, आदि भजन आज की विषम स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं।

प्रार्थना-

भजनों के अतिरिक्त पूज्य मुनि श्री द्वारा रचित ये प्रार्थनाएं भी बहुत popular हैं- मेरा मन समर्थ हो…, कुछ हो या ना हो.., मेरे मन में तेरे मन में..।

श्रोतागण इन भजनों को पढ़कर, सुनकर उत्साह से भर जाते हैं और आनंद में मग्न होकर, इन भजनों को गाते और सुनते हैं। यही नहीं, पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज जब अपनी मधुर,मीठी और कर्णप्रिय आवाज में इन भजनों को सुनाते हैं तो उपस्थित जनसमूह इन भजनों का दीवाना हो जाता है। इन भजनों और मुनिश्री की आवाज का ऐसा जादू चलता है कि भक्तजन उसमें डूबते चले जाते हैं। उस समय के लिए वे अपने कष्ट, परेशानी, दुख भूल जाते हैं ऐसी spiritual healing इन भजनों से होती है। पूज्य मुनि श्री से एक बार भजन सुनकर भक्तों का मन नहीं भरता, जब भी अवसर मिलता है, वे भजन सुनने की बार-बार demand करते हैं और इन भजनों को सुन कर अपने को धन्य मानते हैं।

नीचे दी गई list में-

(1) पूज्य मुनि श्री की आवाज़ में भजनों के audio सुन सकते हैं,

(2) pdf डाउनलोड कर सकते हैं,

(3) भजन के नाम पर click करके भजन का text और available YouTube वीडियो भी देखे जा सकते हैं।

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सिद्ध स्तुतिPDF
गुरू -स्तुति PDF
मेरा मन समर्थ होPDF
श्रद्धा की आँखों से देखोPDF
अरिहन्तों की प्रतिमाओं काPDF
अस्त हो रहे ज्ञान सूर्य नेPDF
अरिहंत भजन कर प्यारेPDF
जब से घर में टी.वी. आईPDF
वृक्षों सा लहराना सीखोPDF
मेरे भगवन् मुझे एक बारPDF
बनते बनते बातPDF
कुछ हो या न होPDF
ग्रीष्म की धूप मेंPDF
जिंदगी जिंदा कहाँ है?PDF
मैं हूँ वो नहींPDF
हे प्रभु कब मैं सो मुनि बनहूँPDF
जो स्वयं मोक्ष पथ परPDF
मुझे अब किसी की जरूरत नहीPDF
जो हो सो हो, जो है सो हैPDF
मर्यादा पुरुष श्री राम, हैं सिद्ध प्रभु बलरामPDF
गुरु गरिमाPDF
मेरे मन में तेरे मन में

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क्यों गम में हैPDF
दुनिया में तरक्कीPDF
रोशनी का वही दरिया ज्ञान काPDF
गुरू के नाम का कर ले जापPDF
ओ छाये हुए मेघोPDF
भगवान से जाकर मिलेंगेPDF
समकित सावन भायोPDF
केश लुंचन स्तुतिPDF
मन तू भ्रम में काहे भ्रमावेPDF
यहाँ आया न मर्जी सेPDF
तो काई बात बनेPDF
डूब जाती है क्यों कश्तीPDF
आओ बच्चों तुम्हे सिखायेंPDF
उस वर्ष न जाने क्या होगा?PDF
शुद्ध चिद्रूपोऽहंPDF
विद्यासागर इस धरती परPDF
सब मिल आओ खुशियाँ मनाओPDF
संत शिरोमणि का स्वर्णिम संयम उत्सव38 संत शिरोमणि का स्वर्णिम संयम उत्सव
प्राकृत भाषा में जिनवाणी स्तुतिPDF
ॐ अर्हं बोल PDF
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