अध्यात्मिक भजन

सारी यात्रा एकाकी है               

       *कोई नहीं किसी का साथी सारी यात्रा एकाकी है*, भजन एक सुन्दर, आध्यात्मिक भजन है। यह भजन परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा तो रचित नहीं है, पर इस भजन ने बचपन में ही उनको बहुत प्रभावित कर  दिया।

     एक धार्मिकआयोजन के अवसर पर, मंगलाचरण में, किसी ब्रह्मचारी भैया जी ने यह भजन प्रस्तुत किया तो पूज्य मुनि श्री का बाल मन इस भजन की विषय वस्तु से इतना प्रभावित हो गया कि वह इस भजन  की लेखन कॉपी लेने के लिए, बहुत दूर तक उन भैया जी के पास अकेले पहुंच गए ।  एक  प्रवचन के मध्य में,जब  पूज्य मुनि श्री ने श्रावकों  के समक्ष, इस भजन के बारे में बताया और इस भजन को सुनाया तो श्रोताजन मंत्रमुग्ध हो उठे। एक बार मन नहीं भरा तो दोबारा सुनने के लिए, उन्होंने पूज्य मुनि श्री से निवेदन किया।

       पूज्य मुनि श्री की मधुर वाणी में, इस सुंदर, अध्यात्मिक भजन को सुनने का अनुभव ही निराला है। इस भजन को ऑडियो और वीडियो के साथ प्रस्तुत पेज पर संयोजित किया गया है—

,

कोई नहीं किसी का साथी,  सारी यात्रा एकाकी है।  

जीवन का यह जन्म धरा पे,  एक बहुत गहरा सपना है,

जब तक नींद भरी आंखें हैं, तब तक दृश्य जगत अपना है,

उतनी  देर जाग कर जी ले, जितनी उम्र अभी बाकी है।

कोई नहीं किसी का साथी ——  (1) 

जाने कितने जन्म जी लिए, द्वंदों का निसीम वृत है,

कभी पुण्य में कभी पाप मे, सुलझा उलझा अवश्य चित्त है,

यदि मध्यस्थ ठहर जाऊँ तो, सहज सुलभ निज की झांकी है।

कोई नहीं किसी का साथी —— (2) 

बाहर बहुत भटक कर देखा, अब भीतर की ओर चलो तो,

जैसे ज्योति दिये की जलती, वैसे ही नि:शब्द जलो तो,

तू ही पतित पात्र भी तू है, तू ही अमृत तू साकी है।

कोई नही किसी का साथी—— (3)

Posted in Uncategorized.

One Comment

  1. जीवन का गहरा शाश्वत सत्य, इस को चिंतन में रखते हुए समता रखते हुए जीना है। यही गुरु हमें समझा रहे हैं।🙏

Comments will appear after approval.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.