श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय

शुभारम्भ 08-Feb-2022 से जिनवाणी चैनल पर

(प्रतिदिन रात्रि 09:00 से 09:40 तक)

.

स्वाध्याय से सम्बन्धित प्रतिदिन के सभी videos को इस पेज पर देखा जा सकता है-

.

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

.

अध्याय -5

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

.

स्वाध्याय ( Class ) –39
उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य का उदाहरण
एवं नित्‍यता का भाव

( सूत्र: 30-31)

.

स्वाध्याय ( Class ) –38
उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य किसे कहते हैं?
क्या सिद्ध भगवान में उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य होता है?

( सूत्र: -29)

.

स्वाध्याय ( Class ) –37
द्रव्य का कभी विनाश क्यों नही होता?
एवं वास्तव में आस्तिक कौन है?

( सूत्र: -29)

.

स्वाध्याय ( Class ) –36
जैन विज्ञान की व्यापकता, स्कन्ध और अणु की उत्पत्ति
कैसे होती है एवं भेद-संघात क्या है?

( सूत्र: 26-28)

.

स्वाध्याय ( Class ) –35
स्कन्ध के प्रकार, कौन से स्कन्ध इन्द्रियों से जाने जाते हैं?
एवं विज्ञान का सीमित और सर्वज्ञ का व्यापक ज्ञान

( सूत्र: -25)

.

स्वाध्याय ( Class ) –34
पुद्गल के भेद, परमाणु के गुण और विशेषताएँ
एवं स्कन्ध के प्रकार (उदाहरण सहित)

( सूत्र: -25)

.

स्वाध्याय ( Class ) –33
पुद्गल के 4 गुण और 10 पर्यायें एवं इनके विभिन्न प्रकार

( सूत्र: 23-24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –32
व्यवहार काल में Time का विभाजन
एवं पुद्गल द्रव्य के लक्षण

( सूत्र: 22-23)

.

स्वाध्याय ( Class ) –31
वर्तना, परिणमन और क्रिया में सम्बन्ध,
काल का महत्व एवं परत्व-अपरत्व क्या है?

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –30
पुरुषार्थ -गुणस्थान -सम्यग्दर्शन कौन से परिणमन हैं?
पुरुषार्थ हमारे हाथ में है वैस्रसिक परिणमन या परिणाम नही

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –29
वर्तना और परिणमन में अन्तर, अनादि-सादि और
वैस्रसिक-प्रायोगिक परिणमन एवं गुणस्थान कैसे बनते हैं?

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –28
कालाणु क्या है? काल द्रव्य के प्रकार
एवं परमार्थ (निश्चय) काल का वर्तना लक्षण और महत्व

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –27
पुद्गल द्वारा पुद्गल पर उपकार कैसे होता है?
जीव का जीव पर उपकार (परस्परोपग्रहोजीवानाम्)

( सूत्र: -21)

.

स्वाध्याय ( Class ) –26
निमित्त द्वारा असाता की उदीरणा कैसे हो जाती है?
जीवन और मरण के रूप में पुद्गल का उपकार

( सूत्र: -20)

.

स्वाध्याय ( Class ) –25
सुख और दुख के रूप में पुद्गल का उपकार, सुख के कारण
एवं दुख को उपकार क्यों माना गया है?

( सूत्र: -20)

.

स्वाध्याय ( Class ) –24
मन का अभिघात और पराभव, प्राणापान (श्‍वासोच्‍छवास) पौद्गलिक क्यों
एवं संसारी जीव अमूर्तिक क्यों है?

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –23
शब्द शक्ति का महत्व, द्रव्य मन-भाव मन
एवं वचन और मन को पौद्गलिक क्यों माना जाता है?

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –22
पुद्गल द्रव्य का शरीर और वचन के रूप में जीव द्रव्य पर उपकार,
द्रव्य वचन-भाव वचन एवं वचन की उत्पत्ति कैसे होती है?

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –21
धर्म-अधर्म, आकाश द्रव्य के उपकार का अनुभव
एवं द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय से द्रव्यों का उपकार व स्वतन्त्रता

( सूत्र: -18)

.

स्वाध्याय ( Class ) –20
जीव द्रव्य में संकोच-विस्तार कैसे अनुभव में आता है?
धर्म-अधर्म द्रव्य का उपकार एवं उदासीन-प्रेरक निमित्त

( सूत्र: -17)

.

स्वाध्याय ( Class ) –19
जीव द्रव्य में संकोच-विस्तार की सीमा एवं कारण

( सूत्र: -16)

.

स्वाध्याय ( Class ) –18
लोकाकाश के असंख्यात प्रदेश में अनन्त पुद्गल परमाणु कैसे समा जाते हैं?
एवं लोकाकाश में पुद्गल और जीव द्रव्य का अवगाहित होना

( सूत्र: 14-15)

.

स्वाध्याय ( Class ) –17
आधार-आधेय सम्बन्ध, युत सिद्ध-अयुत सिद्ध सम्बन्ध
एवं लोकाकाश में पुद्गल द्रव्य का अवगाह

( सूत्र: 13-14)

.

स्वाध्याय ( Class ) –16
लोकाकाश का अर्थ, विभूत्व, अवगाहन शक्ति
एवं धर्म-अधर्म द्रव्य किस प्रकार लोकाकाश में व्याप्त रहते हैं?

( सूत्र: 12-13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –15
पुद्गल स्कन्ध और अणु के प्रदेश
एवं क्या शुद्ध जीव भी क्रिया करते हैं?

( सूत्र: 10-11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –14
आत्मा के प्रदेश कैसे अनुभव में आते हैं?
एवं द्रव्य का एक व अनेक रूप स्वभाव

( सूत्र: -9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –13
अनन्त प्रदेश वाले द्रव्य कौन से हैं? द्रव्य की अवगाहन, संकोच, विस्तार शक्ति
एवं जीव के चल और अचल प्रदेश

( सूत्र: -9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –12
जीव और पुद्गल द्रव्य की सक्रियता में सहायक द्रव्य, जीव का संकोच और विस्तार स्वभाव
एवं असंख्यात प्रदेश वाले द्रव्य कौन से हैं?

( सूत्र: -8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –11
आकाश, धर्म और अधर्म द्रव्य की विशेषताएँ, सक्रिय और निष्क्रिय द्रव्य
एवं जीव द्रव्य सक्रिय है या निष्क्रिय?

( सूत्र: 6-7)

.

स्वाध्याय ( Class ) –10
आकाश द्रव्य का सीमांकन, गुण व स्वभाव

( सूत्र: -6)

.

स्वाध्याय ( Class ) –9
रूपी और अरूपी द्रव्य, पुद्गल द्रव्य की विशेषता
एवं अन्धेरा कौन सा द्रव्य है?

( सूत्र: -5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –8
जैन दर्शन और विज्ञान में समानता
एवं द्रव्य के नित्य और अवस्थित होने में क्या अन्तर है?

( सूत्र: 4-5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –7
द्रव्य के समान्य और विशेष गुण, द्रव्यार्थिक नय और पर्यायार्थिक नय
एवं द्रव्य की नित्यता से तात्पर्य

( सूत्र: -4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –6
जीव द्रव्य की विशेषता एवं द्रव्य के परिणमन में उसकी अन्तरंग शक्ति
और बाह्य निमित्त का होना क्यों आवश्यक है?

( सूत्र: 2-3)

.

स्वाध्याय ( Class ) –5
क्या द्रव्य के परिणमन के लिए परद्रव्य आवश्यक है?
एवं द्रव्य परिणमन के अन्तरंग और बहिरंग निमित्त

( सूत्र: -2)

.

स्वाध्याय ( Class ) –4
अजीव अस्तिकाय किसे कहते हैं? द्रव्य में परिवर्तन के प्रकार
एवं परिवर्तन के लिए आवश्यक कारण

( सूत्र: -1)

.

स्वाध्याय ( Class ) –3
धर्म और अधर्म द्रव्य के एक साथ रहने का कारण, आकाश द्रव्य का महत्व
एवं पुद्गल द्रव्य का अर्थ व स्वरूप

( सूत्र: -1)

.

स्वाध्याय ( Class ) –2
धर्म और अधर्म द्रव्य का अर्थ, कार्य व महत्व

( सूत्र: -1)

.

स्वाध्याय ( Class ) –1
छह द्रव्यों का स्वरूप

( सूत्र: -1)

.

.

Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here


.

नीचे दिए गए तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय के नाम पर क्लिक करके उस स्वाध्याय कक्षा के सभी videos को देखा जा सकता है:—

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -1

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र कानए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय . स्वाध्याय ( Class ) – 21(23-Mar-2022)(सूत्र: 33) . स्वाध्याय ( Class ) – 20(21-Mar-2022)(सूत्र: 33) . Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन…

श्री तत्त्वार्थ सूत्र शंका समाधान

शंका समाधान -44 . . शंका समाधान -43 . . शंका समाधान -42 . . शंका समाधान -41 . . शंका समाधान -40 . . शंका समाधान -39 . . शंका समाधान -38 . . शंका समाधान -37 . . शंका समाधान -36 . . शंका समाधान -35 . . शंका समाधान -34 . .…

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -2 [ सूत्र : 1-12 ]

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र कानए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय . . स्वाध्याय ( Class ) –26संज्ञी और असंज्ञी जीव(19-May-2022)( सूत्र: 11-12) . स्वाध्याय ( Class ) –25पंच परावर्तन(18-May-2022)( सूत्र: 9-12) . स्वाध्याय ( Class ) –24जीव के भेद(17-May-2022)( सूत्र: 9-12) .…

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -2 [ सूत्र : 13-53]

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र कानए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय . . स्वाध्याय ( Class ) –56 क्षेत्रों में वेद व्यवस्था( सूत्र: 52-53) . स्वाध्याय ( Class ) –55 द्रव्य वेद और भाव वेद ( सूत्र: 50-51) . स्वाध्याय ( Class )…

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -3

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र कानए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय . स्वाध्याय ( Class ) –36अर्हं ध्यान के माध्यम से मध्य लोक के अकृत्रिम जिनालयों की वंदना . स्वाध्याय ( Class ) –35 त्रेसठ शलाका पुरुष, मनुष्य-तिर्यंच गति में आयु एवं तीसरे…

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -4

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र कानए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय . स्वाध्याय ( Class ) –33देवों की जघन्य व उत्कृष्ट आयु, नारकियों की जघन्य आयु एवं देवों का मानसिक आहार( सूत्र: 33-42) . स्वाध्याय ( Class ) –32घातायुष्क की व्यवस्था कहाँ तक…

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

.

.

Comments will appear after approval.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.