पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव

राँझी (जबलपुर)

    जबलपुर की उपनगरी, रांझी जिसे कारखाना नगरी कहा जाता है , जो धर्म नगरी भी है और संस्कार नगरी भी है क्योंकि यहाँ से 1 नहीं, अपितु 3 नगर गौरव मुनि-श्री निष्काम सागर जी, मुनि श्री निरीह सागर जी और आर्यिका मननमती माता जी के रूप में, 3 रत्नों की प्राप्ति आचार्य श्री संघ और जैन समाज को हुई है । ऐसी सौभाग्यशाली रांझी नगरी में, अनासक्त महायोगी संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज एवं पूज्य मुनि श्री चन्द्र सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में, 13 जनवरी से 19 जनवरी तक भव्य श्री 1008 मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।

    इस पंचकल्याणक महोत्सव में तीर्थंकर पंच कल्याणक के साथ ही, जनकल्याण उत्सव के रूप में, एक नए कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। बालक-बालिका संस्कार विधि के अंतर्गत 5 से 16 वर्ष के बच्चों को संस्कार प्रदान किए गए। संस्कार प्राप्त करने वाले सभी बच्चों में गजब का उत्साह दिखाई दिया। बालकों ने अपने सिर का मुंडन भी कराया। मुनिद्वय के पावन कर कमलों और पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के श्री मुख से मंत्रोच्चारण के साथ, जब बच्चों को संस्कार प्रदान किए जा रहे थे, तब बच्चे तो आनन्द और हर्ष में झूम ही रहे थे, वहाँ उपस्थित समस्त जन समुदाय भी ये दृश्य देख खूब आनन्दित हो रहा था । लगभग 500 बच्चों ने  इस कार्यक्रम में भाग लेकर, अपने को धन्य किया। इसके साथ ही 16 जनवरी को सभी गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भ संस्कार विधि कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें  पूज्य मुनि श्री द्वारा  मंत्रोच्चारण के साथ गर्भस्थ शिशु  के लिए संस्कार प्रदान किए गए और सभी महिलाओं के लिए स्वास्थ्य से सम्बन्धित उपयोगी मार्गदर्शन भी दिया गया। संस्कार विधि के, ये दोनों कार्यक्रम सभी के लिए आकर्षण और कौतूहल का केंद्र रहे। 

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बालक-बालिका संस्कार विधि (15 जनवरी)

गर्भ संस्कार विधि (16 जनवरी)

तप कल्याणक (17 जनवरी)

ऋषभदेव मुनिराज का आहार

भगवान का समवशरण
(18 जनवरी)

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 पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के श्री मुख से प्रवचन के साथ साथ, श्री 1008 ऋषभनाथ भगवान के पूर्व जन्मों को सुनने का सौभाग्य भी इस पंचकल्याणक में श्रावकों को प्राप्त हुआ। वाणी भूषण बा. ब्र. श्री विनय भैया जी (बंडा) की अनोखी निर्देशन शैली ने भी सभी को खूब प्रभावित किया। धर्मनगरी रांझी के लिए ये पंचकल्याणक आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज की तरफ से एक अमूल्य उपहार के रूप में सदा ही स्मरणीय रहेंगे।

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