श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -6

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

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स्वाध्याय ( Class ) –30
परनिन्दा और आत्म-प्रशंसा घातक क्यों हैं?
अन्तराय कर्म के बन्ध से कैसे बचें?

( सूत्र: 26-27)

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स्वाध्याय ( Class ) –29
आवश्यकापरिहाणि और मार्ग प्रभावना भावना क्या हैं?
प्रवचन भक्ति और प्रवचन वत्सलत्व भावना में अन्तर

( सूत्र: 24-25)

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स्वाध्याय ( Class ) –28
साधु समाधि और वैय्यावृत्यकरण भावना में अन्तर
किसकी भक्ति से तीर्थंकर पद प्राप्त होता है?

( सूत्र: -24)

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स्वाध्याय ( Class ) –27
तीर्थंकर पद की प्राप्ति कराने वाली भावनाएं

( सूत्र: -24)

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स्वाध्याय ( Class ) –26
कौन से जीव तीर्थंकर भगवान बनते हैं?
दर्शन विशुद्धि और विनय सम्पन्नता भावना क्या है?

( सूत्र: -24)

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स्वाध्याय ( Class ) –25
सुन्दर शरीर पाने के लिए किन कुटिलताओं से बचें?
सुन्दर और दिव्यांग शरीर किन कर्मों के कारण मिलता है?

( सूत्र: 22-23)

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स्वाध्याय ( Class ) –24
वैमानिक देवों में कौन जाता है? सम्यग्दर्शन से देवायु
का बन्ध एवं सम्यग्दर्शन क्यों छूट जाता है?

( सूत्र: -21)

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स्वाध्याय ( Class ) –23
अकाम निर्जरा और बाल तप से क्या तात्पर्य है?
इससे देव आयु का आश्रव कैसे होता है?

( सूत्र: -20)

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स्वाध्याय ( Class ) –22
शील व व्रत रहित जीवों को कौन सी आयु का बन्ध होता है?
स्वर्ग (देव गति) में कौन जाता है?

( सूत्र: -19)

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स्वाध्याय ( Class ) –21
पशु गति में जाने से कैसे बचें?
किस कारण हमें ये मनुष्य जन्म मिला?
कौन सी गति में जाने के कार्य हम कर रहें हैं?

( सूत्र: 16-18)

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स्वाध्याय ( Class ) –20
भय, जुगुप्सा आदि नोकषाय के आश्रव का कारण
एवं नरक आयु का बन्ध क्यों हो जाता है?

( सूत्र: -15)

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स्वाध्याय ( Class ) –19
चरित्र मोहनीय कर्म के कारण
इनसे कैसे बच सकते हैं?

( सूत्र: -14)

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स्वाध्याय ( Class ) –18
अवर्णवाद से दर्शन मोहनीय कर्म का बन्ध
एवं संघ, धर्म और देव का अवर्णवाद कैसे होता है?

( सूत्र: -13)

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स्वाध्याय ( Class ) –17
श्रुत (शास्त्र) अवर्णवाद कैसे होता है?
इससे कैसे बचें?

( सूत्र: -13)

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स्वाध्याय ( Class ) –16
केवली अवर्णवाद क्या है ये कैसे होता है?

( सूत्र: -13)

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स्वाध्याय ( Class ) –15
साता वेदनीय कर्म (सुख) के कारण
योग और संयम से पुण्य का बन्ध कैसे होता है?

( सूत्र: -12)

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स्वाध्याय ( Class ) –14
सामान्य और विशेष पुण्य का बन्ध कैसे होता है?
एवं सराग संयम से पुण्य आश्रव

( सूत्र: -12)

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स्वाध्याय ( Class ) –13
अनुकम्पा और दया में अन्तर
एवं अनुकम्पा के प्रकार

( सूत्र: -12)

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स्वाध्याय ( Class ) –12
उपघात भाव क्या है?
असाता वेदनीय कर्म के बन्ध से कैसे बचें?
एवं दुखी होने से भविष्य में भी उत्पन्न हो जाता है दुख

( सूत्र: -11)

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स्वाध्याय ( Class ) –11
मात्सर्य भाव क्या है? इससे क्या क्षति होती है?
एवं अन्तराय-आसादना से कर्म का बन्ध कैसे होता है?

( सूत्र: -10)

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स्वाध्याय ( Class ) –10
ज्ञानावरणी कर्म के बन्ध से कैसे बचें? प्रदोष
एवं निह्नव क्या है? इनसे कर्म का बन्ध कैसे होता है?

( सूत्र: -10)

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स्वाध्याय ( Class ) –9
संकल्प नहीं लेना मौन स्वीकृति या अनुमोदना जैसा है,
एवं अजीव अधिकरण से आश्रव कैसे होता है?

( सूत्र: -9)

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स्वाध्याय ( Class ) –8
शक्ति का आश्रव पर प्रभाव, संकल्प से रुकता है आश्रव
एवं कृत-कारित-अनुमोदन, संरम्भ-समारम्भ-आरम्भ से आश्रव

( सूत्र: 7-8)

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स्वाध्याय ( Class ) –7
कर्मों का तीव्र आश्रव किसे होता है?
एवं तीव्र, मन्द, ज्ञात, अज्ञात भाव का आश्रव पर प्रभाव

( सूत्र: -6)

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स्वाध्याय ( Class ) –6
ईर्यापथ आस्रव और साम्परायिक आस्रव में अन्तर
एवं साम्परायिक आस्रव के कारण व क्रियाएँ

( सूत्र: -5)

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स्वाध्याय ( Class ) –5
आत्मा शुद्ध कैसे होती है? अकषाय और सकषाय जीव
एवं आश्रव पर कषाय का प्रभाव

( सूत्र: -4)

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स्वाध्याय ( Class ) –4
पुण्य और पाप से तात्पर्य, सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि
के पुण्य में अन्तर एवं शुभ-अशुभ उपयोग
( सूत्र: -3)

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स्वाध्याय ( Class ) –3
13 वे गुणस्थान तक आत्मा कर्म का कर्ता क्यों है?
एवं सूत्र-1 का नया चिन्तन

( सूत्र: 1-2)

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स्वाध्याय ( Class ) –2
काय-वचन-मन योग के भेद, योग और आश्रव में सम्बन्ध,
एवं आश्रव कौन से गुणस्थान तक होता है?

( सूत्र: 1-2)

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स्वाध्याय ( Class ) –1
योग के प्रकार एवं अन्तरंग और बहिरंग कारण

( सूत्र: -1)

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Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

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श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision [ अध्याय 6]

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श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

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       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

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