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परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज का प्राकृत भाषा के प्रचार, प्रसार और विकास के लिए अभूतपूर्व योगदान रहा है, जो वर्तमान समय में भी निरंतर जारी है। पूज्य मुनि श्री ने एक तरफ अनेक माध्यमों से, हमारी प्राचीन भाषा प्राकृत को जन-जन तक पहुंचाया है, वहीं दूसरी तरफ, अद्भुत लेखन क्षमता से प्राकृत भाषा में अनेक ग्रंथ, टीकाग्रंथ, कृतियाँ और स्तुतियाँ आदि की रचना कर, प्राकृत साहित्य को विविधता से भर दिया है।
इसी श्रंखला में, पूज्य मुनि श्री ने प्राकृत भाषा में एक नई स्तुति की रचना की है। 15 नवंबर 2020 को, दीपावली के शुभ अवसर पर, गौतम गणधर स्वामी की भक्ति में रचित इस मनमोहक स्तुति के बारे में जानने, पढ़ने और सर्वप्रथम पूज्य मुनि श्री की मधुर वाणी में ही, इसे सुनने का सौभाग्य श्रावकों को प्राप्त हुआ।
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स्तुति प्रारम्भ करने से पहले जब पूज्य मुनि श्री ने बताया कि प्राकृत भाषा में यह नई स्तुति रची गई है और सर्वप्रथम यहां पर पढ़ी जा रही है तो सभी श्रोताओं का हृदय, उत्साह और उल्लास से भर गया। इस मनभावन स्तुति को सुनकर सभी भक्त भावविभोर हो उठे। उनके लिए दीपावली के शुभ अवसर पर पूज्य मुनि श्री की मधुर, कर्ण प्रिय, वाणीमें गौतम गणधर स्वामी की स्तुति सुनना, किसी उपहार से कम नहीं था।
इस स्तुति में पूज्य मुनि श्री ने हृदयस्पर्शी भावों के साथ 10 प्राकृत गाथाओं में गौतम गणधर स्वामी की अनुपम भक्ति की है। स्तुति प्राकृत भाषा में है, पर प्राकृत ना जानने वालों को भी, पूज्य मुनि श्री की वाणी में स्तुति को सुनकर ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि कानों में मधुर रस ही घुल गया हो। प्रत्येक गाथा के बाद पूज्य मुनि श्री ने हिंदी में उस गाथा के भाव भी श्रोताओं को समझाए हैं।
इन गाथाओं का अर्थ सुनकर, पढ़कर श्रोताओं व पाठकों का हुदय गौतम गणधर स्वामी के प्रति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से भर जाता है। उन्हें इस स्तुति के माध्यम से गौतम गणधर स्वामी के जीवन, चारित्र एवं गुणो का परिचय होता है, साथ ही उनकी बुद्धिमता और भगवान के प्रति उनके अनुराग, श्रद्धा, भक्ति के बारे में भी ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
दीपावली के अवसर पर श्रावकजन को गौतम गणधर स्वामी की भक्ति करने के लिये, इस तरह की स्तुति का अभाव अनुभव होता था। पूज्य मुनि श्री ने इस अभाव को दूर किया और सदा के लिए, प्रत्येक दिवाली पर, गौतम गणधर स्वामी की भक्ति करने के लिए, इस स्तुति का उपहार सम्पूर्ण समाज को दिया। पूज्य मुनि श्री का यह उपहार, प्रत्येक दिपावली पर जन समुदाय के भक्ति भावों में वृद्धि करता रहेगा।