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जो हो सो हो, जो है सो है,
हमको क्या, हमको क्या, हमको क्या?
जनम सुनिश्चित, मरण सुनिश्चित
कर्मों का फल मिलना निश्चित
फिर संयोग-वियोगों के क्षण
घबराने से क्या?
जो हो सो….
पर तुलना से हँसना रोना,
सुखी दुःखी यूं पल पल होना
चेतन को इन क्षणिकाओं में,
आखिर मिलता क्या?
जो हो सो….
पत्नी, बेटी, दौलत भाई,
कर्म फलों की है परछाई।
परछाई पकड़न को दौड़े,
तू पाएगा क्या?
जो हो सो….
भाव मुक्त कर कर्म फलों से,
बन साक्षी लख ज्ञान बलों से
चेतन का परिणाम नहीं जो
उन भावों से क्या।
जो हो सो….