प्राकृत स्तुतियाँ

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   प्राकृत हमारे देश की प्राचीन भाषा रही है। समय के साथ हम इस भाषा को भूल ही गए। हमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत आदि अनेक भाषाओं के बारे में तो ज्ञान रहा, पर प्राकृत का नाम भी बहुत कम लोग जानते थे। परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने अनेक माध्यमों से, इस प्राचीन भाषा का प्रचार प्रसार किया और इस भाषा को नवजीवन प्रदान किया। इसके साथ ही, पूज्य मुनि श्री ने प्राकृत भाषा में अनेक हृदयस्पर्शी भक्ति एवं स्तुतियों की रचना भी की है। उसी का परिणाम है कि आज जनमानस में प्राकृत भाषा को जानने व सीखने का उत्साह बढ़ता जा रहा है।

   जिनवाणी थुदिपूज्य मुनि श्री द्वारा प्राकृत भाषा में रचित जिनवाणी स्तुति  इतनी सर्वप्रिय और प्रसिद्ध स्तुति बन गई है कि प्राय सभी उत्सवों और आयोजनों में इस स्तुति को पढ़ा जाता है। छोटे-छोटे बच्चों को भी यह स्तुति याद रहती है। मन को भा जाने वाली यह एक ऐसी जिनवाणी स्तुति है कि सभी बाल, युवा, वृद्ध उत्साह से इसे पढ़ते हैं और आनंदित होते हैं।

   ध्वज गीत… पूज्य मुनिश्री द्वारा प्राकृत भाषा में रचित ध्वज गीत जिनधर्म ध्वज की महिमा एवं विलक्षण विशेषताओं का गुणगान करने वाला मनमोहक गीत है। इसको गाते समय जिनधर्म पताका  के प्रति गौरव की अनुभूति होती है और उसमें आस्था व श्रद्धा बढ़ती है। पूज्य मुनि श्री की आवाज में यह ध्वज गीत हृदय को प्रफुल्लित कर देता है।

   प्राकृत भजन… भगवान मुझे प्रसन्न करें, इसी भावना को व्यक्त करता हुआ, एक छोटा सा भजन है .. पसीयंतु ते। पूज्य मुनिश्री द्वारा रचित इस भजन को उनकी ही मधुर वाणी में श्रवण करके उदास मन भी प्रसन्नता से भर जाता है।

 गोम्मटेस पडिमा भत्ति... प्राकृत भाषा में लिखी गई बहुत ही रुचिकर स्तुति है। बाहुबली भगवान की विशाल प्रतिमा किस प्रकार अस्तित्व में आई, उसका रोचक वर्णन और इसके साथ ही एक शिक्षाप्रद सन्देश भी, इस  स्तुति के माध्यम से मिलता है।  

 प्राकृत में ही रचित गौतम गणधर स्तुति भी दिल को छू जाने वाली अनुपम रचना है। इसके अतिरिक्त 24 तीर्थंकर स्तुति, वर्धमान स्वामी स्तुति, वीयराय भत्ति आदि पूज्य मुनि श्री द्वारा रचित अन्य सुन्दर प्राकृत स्तुतियाँ हैं।

      पूज्य मुनि श्री द्वारा विरचित इन स्तुतियो की विशेषता यह है कि प्राकृत भाषा को ना जानने वाले भी इन स्तुतियों को श्रवण करते हुए, भक्ति रस में लीन हो जाते हैं, प्राकृत जानने वालों का तो आनन्द ही कुछ और होता है। प्राकृत को एक कोमल, मधुर भाषा के रूप में भी जाना जाता है और जब इस मधुर भाषा में रचित स्तुतियों को, परम पूज्य मुनि श्री की मधुर वाणी में ही सुनने का अवसर मिलता है तो आनंद और उल्लास की मिठास दुगनी हो जाती है। ऐसा श्रोताजन अनुभव करते हैं।

      प्रस्तुत पेज पर …

1. पूज्य मुनि श्री की मधुर वाणी में इन प्राकृत स्तुतियों के Audio सुने जा सकते हैं।

2. Audio  को download भी किया जा सकता है।

3. Pdf download  किए जा सकते हैं।

4. List में दी गई किसी स्तुति पर क्लिक करके उस स्तुति का Text, Audio, Video आदि भी देखे जा सकते हैं।

TitleAudioPDF Download
जिनवाणी स्तुति
(जिणवाणी थुदि)
PDF
वीतरागी भगवान भक्ति(वीयराय भत्ति)PDF
चौबीस  जिनभक्ति(चउवीस जिणभत्ति)PDF
वर्धमान स्वामी स्तुति (वड्ढमाण सामी थुदि)PDF
प्राकृत ध्वज गीत(पागद धजगीत)PDF
भजनPDF
चौबीस तीर्थंकर स्तुति(चउवीस तित्थयर थुदि)PDF
बाहुबली भगवान भक्ति(गोम्मटेस पडिमा भत्ती)PDF
गौतम गणधर स्वामी स्तुति(गोयम गणहर थुदि)PDF
सुयपंचमीथुदि (श्रुत पंचमी स्तुति)