इष्टोपदेश = इष्ट+ उपदेश, अर्थात प्रिय लगने वाले उपदेश। इस ‘इष्टोपदश’ ग्रंथ पर ही परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगलमय वाणी में, जन-जन को इष्ट लगने वाले, ये प्रवचन हैं। इन प्रवचनों को सुनकर श्रोतागण को ग्रंथ का ज्ञान भी होता है, स्वाध्याय भी होता है, ग्रंथ easily समझ में भी आता है, गुरु का चिंतन और जीवन जीने के सूत्र और tips भी उनको इनसे मिलते हैं। इसके साथ ही उनका ये आत्मविश्वास भी बढ़ता है कि उन्होंने इस ग्रंथ को पूरी तरह से समझ लिया है। ये प्रवचन श्रोतागण को इसलिए भी इष्ट (प्रिय) लगते हैं क्योंकि ये एक उच्च स्तर का सही और उपयुक्त आत्मिक ज्ञान भी देते हैं जो बहुत कम और बहुत सौभाग्य से ही किसी को मिल पाता है।
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मूल शास्त्रों की गाथाएँ पढ़ने और सुनने का महत्त्व | Mool Shastron Ki Gathaye Padhne Sunne Ka Mehatva

इष्टोपदेश गाथा पाठ | Ishtopadesh Gaatha Path | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

इष्टोपदेश #01 | मंगलाचरण | Invocation | Ishtopadesh | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

इष्टोपदेश #02 | स्वरूपोपलब्धि का दृष्टांत | Swaroopoplabdhi Ka Drishtaant | Ishtopadesh

इष्टोपदेश # 03 | व्रतादिकों की कथंचित् सार्थकता | Vratadiko ki kathanchit sarthkta | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #04 | आत्मानुराग की युक्तियुक्तता | Atmanurag ki yuktiyuktata | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #05 | स्वर्ग जाने का फल | Swarg jaane ka fal | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #06 | सांसारिक सुख का स्वरूप | Sansarik sukh ka swaroop | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #07 | वस्तुस्थिति का परिज्ञान न होने में कारण | Vastusthiti ka parigyan | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #08 | मोही का भ्रम | Mohi ka bhram | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #09 | कुटुम्ब रैन बसेरा है | Kutumb rain basera hai | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #10 | शत्रु के प्रति होने वाली भूल | Satru ke prati hone wali bhool | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #11 | अपने में राग व पराये में द्वेष करने का प्रतिफल | Rag aur dwesh | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #12 | क्या सुख मोक्ष में ही है ,संसार में तनिक नहीं ? | Kya sukh moksh mei ? | Ishtopadesh

इष्टोपदेश #13 | सांसारिक सम्पत्ति वालों की वास्तविक स्थिति | Sansarik sampatti wale | Ishtopadesh
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