श्रावकगण की मनोस्थिति को समझते हुए उनको किसी विषय का step by step, सरल एवं मनोवैज्ञानिक तरीके से ज्ञान कराना और उस विषय को interesting बना देना परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के प्रवचनों की विशेषता है। जैन आगम के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘द्रव्य संग्रह ‘ पर जब पूज्य मुनि श्री ने अपनी चिरपरिचित सरल भाषा और सुगम्य शैली में प्रवचन दिए तो श्रोताओं को यह ग्रंथ आसानी से समझ में आया और उनको इसमें interest भी आने लगा। इन प्रवचनों को सुनकर श्रोतागण व्यवहारनय -निश्चयनय, दर्शनोपयोग – ज्ञानोपयोग आदि का अंतर और सात तत्वों का द्रव्य और भाव रुप से अर्थ भी बहुत easily समझ गये जिसमें वह पहले बहुत मुश्किल महसूस करते थे।
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द्रव्यसंग्रह # 01, 02, 03 | मंगलाचरण | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 04, 05 | दर्शनोपयोग के भेद | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 06, 07 | नय-विवक्षा से जीव का पुनः लक्षण | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 08, 09 | जीव की कर्तृत्व | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 10 | जीव का परिमाण | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 11, 12 | जीव के भेद | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 13, 14 | मार्गणा और गुणस्थान-भेद से जीव के भेद | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 15, 16 | पुद्गल द्रव्य का कथन | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 17, 18, 19, 20 | अधर्मद्रव्य का स्वरूप | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 21, 22, 23 | काल द्रव्य का स्वरूप | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 24, 25 | अस्तिकाय का स्वरूप | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 26, 27 | परमाणु उपचार से काय है | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 28 | सात पदार्थों का नाम-निर्देश | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 29, 30 | आस्रव का स्वरूप | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

द्रव्यसंग्रह # 31, 32, 33 | द्रव्यास्रव का स्वरूप | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी
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