परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय
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स्वाध्याय ( Class ) –36
आहार दान का पूर्ण पुण्य किन सात गुणों
से प्राप्त होता है एवं विभिन्न पात्रों को दान का फल
( सूत्र: -39)
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स्वाध्याय ( Class ) –35
दान के प्रकार, नवधा भक्तिपूर्वक आहार दान की विधि
एवं उद्दिष्ट आहार किसे कहते हैं?
( सूत्र: -38)
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स्वाध्याय ( Class ) –34
सल्लेखना के अतिचार एवं सल्लेखनारत साधक
की उत्कृष्ट चिन्ता क्या होती है?
( सूत्र: -37)
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स्वाध्याय ( Class ) –33
अतिथि संविभाग व्रत के अतिचार
एवं आहारदान के समय क्या सावधानी रखें?
( सूत्र: -36)
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स्वाध्याय ( Class ) –32
प्रासुक भोजन हिंसा और रोगों से कैसे रक्षा करता है?
एवं भोगोपभोग परिणाम व्रत के अतिचार
( सूत्र: 35-36)
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स्वाध्याय ( Class ) –31
भोजन और जल को प्रासुक करते
समय क्या ध्यान रखें?
( सूत्र: -35)
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स्वाध्याय ( Class ) –30
प्रोषधोपवास व्रत में लगने वाले अतिचार
एवं पाप आस्रव को पुण्य में कैसे बदलें?
( सूत्र: -34)
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स्वाध्याय ( Class ) –29
अतिचार रहित सामायिक व्रत का पालन कैसे करें?
( सूत्र: -33)
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स्वाध्याय ( Class ) –28
अनर्थदण्ड व्रत के अतिचार एवं बिना प्रयोजन
अशुभ कर्म का बन्ध कैसे हो जाता है?
( सूत्र: -32)
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स्वाध्याय ( Class ) –27
दिग्व्रत और देशव्रत में अतिचार कैसे लग जाते हैं?
एवं मन से मौन कैसे हुआ जाता है?
( सूत्र: -31)
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स्वाध्याय ( Class ) –26
परिग्रह परिमाण अणुव्रत में अतिचार के कारण
एवं शील व्रत किन व्रतों को कहते हैं?
( सूत्र: 29-30)
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स्वाध्याय ( Class ) –25
अचौर्य और ब्रह्मचर्य व्रत को अतिचारों
से कैसे बचाएं?
( सूत्र: 27-28)
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स्वाध्याय ( Class ) –24
सत्याणुव्रत में अतिचार कैसे लग जाते हैं?
( सूत्र: -26)
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स्वाध्याय ( Class ) –23
सम्यग्दर्शन की रक्षा के लिए क्या ध्यान रखें?
एवं अहिंसा अणुव्रत के अतिचार
( सूत्र: 24-25)
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स्वाध्याय ( Class ) –22
अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार और अनाचार में अन्तर
एवं सम्यग्दर्शन में दोष कैसे लग जाता है?
( सूत्र: -23)
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स्वाध्याय ( Class ) –21
सल्लेखना क्या है, इसे कैसे धारण
किया जाता है? एवं निर्यापक किसे कहते हैं?
( सूत्र: -22)
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स्वाध्याय ( Class ) –20
नैष्ठिक श्रावक की दर्शन, व्रत, सामायिक, प्रोषधोपवास
एवं उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत प्रतिमा
( सूत्र: -21)
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स्वाध्याय ( Class ) –19
व्रती और श्रावक के प्रकार
एवं पाक्षिक और नैष्ठिक श्रावक में अन्तर
( सूत्र: 19-20)
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स्वाध्याय ( Class ) –18
देशव्रती, अणुव्रती और सम्यग्दृष्टि भी होते हैं
भावलिंगी-द्रव्यलिंगी, कैसे?
एवं व्रती के लिए घातक तीन शल्य
( सूत्र: -18)
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स्वाध्याय ( Class ) –17
मूर्च्छा का भाव क्या है? मूर्च्छा और परिग्रह
में सम्बन्ध एवं मायाचार के साथ व्रत अधूरा, क्यों?
( सूत्र: -17)
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स्वाध्याय ( Class ) –16
अब्रह्म के भाव को अन्तरंग परिग्रह क्यों कहा गया है?
( सूत्र: -16)
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स्वाध्याय ( Class ) –15
प्रमाद सहित वचन असत्य वचन क्यों हैं?
एवं किन क्रियाओं में चोरी का दोष लगता है?
( सूत्र: 14-15)
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स्वाध्याय ( Class ) –14
अन्तरंग प्रमाद क्या है?
एवं क्या हम अन्तरंग प्रमाद को पहचानते हैं?
( सूत्र: 13-14)
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स्वाध्याय ( Class ) –13
निश्चय हिंसा, स्व हिंसा या भाव हिंसा क्या है?
एवं सावधानी रहित सभी क्रियाओं में हिंसा क्यों है?
( सूत्र: -13)
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स्वाध्याय ( Class ) –12
संवेग भाव से क्या तात्पर्य है?
संवेग और वैराग्य भाव में कैसे वृद्धि होती है?
( सूत्र: -12)
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स्वाध्याय ( Class ) –11
मन की शान्ति और एकाग्रता के लिए आवश्यक चार भावनाएं
( सूत्र: -11)
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स्वाध्याय ( Class ) –10
मैत्री और प्रमोद भावना को कैसे भाएं?
( सूत्र: -11)
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स्वाध्याय ( Class ) –9
पाँच पापों के फल का चिन्तन कैसे करें?
( सूत्र: 9-10)
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स्वाध्याय ( Class ) –8
बाह्य और आन्तरिक परिग्रह क्या है?
एवं राग-द्वेष का परिग्रह पर प्रभाव
( सूत्र: -8)
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स्वाध्याय ( Class ) –7
ब्रह्मचर्य व्रत की रक्षा के लिए
क्या ध्यान रखना चाहिए?
( सूत्र: -7)
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स्वाध्याय ( Class ) –6
सत्य व्रत की रक्षा कैसे होती है?
एवं अचौर्य व्रत के लिए आवश्यक भावनाएं
( सूत्र: -6)
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स्वाध्याय ( Class ) –5
मनोगुप्ति का पालन कैसे किया जाता है?
अहिंसा और सत्य व्रत की रक्षा के लिए भावनाएं
( सूत्र: -5)
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स्वाध्याय ( Class ) –4
व्रतों की रक्षा में भावनाओं का महत्व,
वचन गुप्ति से व्रत की रक्षा कैसे होती है?
( सूत्र: -4)
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स्वाध्याय ( Class ) –3
सम्यग्दृष्टि की व्रतों में कितनी रुचि होती है?
प्रवृत्ति और निवृत्ति रूप संवर
( सूत्र: -3)
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स्वाध्याय ( Class ) –2
संवर क्या है?
पाप का संवर पहले होता है या पुण्य का
( सूत्र: -2)
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स्वाध्याय ( Class ) –1
व्रतों का अनुबन्ध कैसे होता है?
( सूत्र: -1)
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Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —
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श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision [ अध्याय 7]
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श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?
क्या है इसमें विशेष ?
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स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा।
श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है।
इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—
(1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।
(2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है। वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं।
(3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।
(4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।
(5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता।
(6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।
(7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।
(8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है।
(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।
(10) कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।
(11) विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है।
(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है। Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है।
इस अनूठी Online स्वाध्याय कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।
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