श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -7

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

स्वाध्याय ( Class ) –36
आहार दान का पूर्ण पुण्य किन सात गुणों
से प्राप्त होता है एवं विभिन्न पात्रों को दान का फल

( सूत्र: -39)
स्वाध्याय ( Class ) –35
दान के प्रकार, नवधा भक्तिपूर्वक आहार दान की विधि
एवं उद्दिष्ट आहार किसे कहते हैं?

( सूत्र: -38)
स्वाध्याय ( Class ) –34
सल्लेखना के अतिचार एवं सल्लेखनारत साधक
की उत्कृष्ट चिन्ता क्या होती है?

( सूत्र: -37)
स्वाध्याय ( Class ) –33
अतिथि संविभाग व्रत के अतिचार
एवं आहारदान के समय क्या सावधानी रखें?

( सूत्र: -36)
स्वाध्याय ( Class ) –32
प्रासुक भोजन हिंसा और रोगों से कैसे रक्षा करता है?
एवं भोगोपभोग परिणाम व्रत के अतिचार

( सूत्र: 35-36)
स्वाध्याय ( Class ) –31
भोजन और जल को प्रासुक करते
समय क्या ध्यान रखें?

( सूत्र: -35)
स्वाध्याय ( Class ) –30
प्रोषधोपवास व्रत में लगने वाले अतिचार
एवं पाप आस्रव को पुण्य में कैसे बदलें?

( सूत्र: -34)
स्वाध्याय ( Class ) –29
अतिचार रहित सामायिक व्रत का पालन कैसे करें?

( सूत्र: -33)
स्वाध्याय ( Class ) –28
अनर्थदण्ड व्रत के अतिचार एवं बिना प्रयोजन
अशुभ कर्म का बन्ध कैसे हो जाता है?

( सूत्र: -32)
स्वाध्याय ( Class ) –27
दिग्व्रत और देशव्रत में अतिचार कैसे लग जाते हैं?
एवं मन से मौन कैसे हुआ जाता है?

( सूत्र: -31)
स्वाध्याय ( Class ) –26
परिग्रह परिमाण अणुव्रत में अतिचार के कारण
एवं शील व्रत किन व्रतों को कहते हैं?

( सूत्र: 29-30)
स्वाध्याय ( Class ) –25
अचौर्य और ब्रह्मचर्य व्रत को अतिचारों
से कैसे बचाएं?

( सूत्र: 27-28)
स्वाध्याय ( Class ) –24
सत्याणुव्रत में अतिचार कैसे लग जाते हैं?

( सूत्र: -26)
स्वाध्याय ( Class ) –23
सम्यग्दर्शन की रक्षा के लिए क्या ध्यान रखें?
एवं अहिंसा अणुव्रत के अतिचार

( सूत्र: 24-25)
स्वाध्याय ( Class ) –22
अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार और अनाचार में अन्तर
एवं सम्यग्दर्शन में दोष कैसे लग जाता है?

( सूत्र: -23)
स्वाध्याय ( Class ) –21
सल्लेखना क्या है, इसे कैसे धारण
किया जाता है? एवं निर्यापक किसे कहते हैं?

( सूत्र: -22)
स्वाध्याय ( Class ) –20
नैष्ठिक श्रावक की दर्शन, व्रत, सामायिक, प्रोषधोपवास
एवं उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत प्रतिमा

( सूत्र: -21)
स्वाध्याय ( Class ) –19
व्रती और श्रावक के प्रकार
एवं पाक्षिक और नैष्ठिक श्रावक में अन्तर

( सूत्र: 19-20)
स्वाध्याय ( Class ) –18
देशव्रती, अणुव्रती और सम्यग्दृष्टि भी होते हैं
भावलिंगी-द्रव्यलिंगी, कैसे?
एवं व्रती के लिए घातक तीन शल्य

( सूत्र: -18)
स्वाध्याय ( Class ) –17
मूर्च्छा का भाव क्या है? मूर्च्छा और परिग्रह
में सम्बन्ध एवं मायाचार के साथ व्रत अधूरा, क्यों?

( सूत्र: -17)
स्वाध्याय ( Class ) –16
अब्रह्म के भाव को अन्तरंग परिग्रह क्यों कहा गया है?

( सूत्र: -16)
स्वाध्याय ( Class ) –15
प्रमाद सहित वचन असत्य वचन क्यों हैं?
एवं किन क्रियाओं में चोरी का दोष लगता है?

( सूत्र: 14-15)
स्वाध्याय ( Class ) –14
अन्तरंग प्रमाद क्या है?
एवं क्या हम अन्तरंग प्रमाद को पहचानते हैं?

( सूत्र: 13-14)
स्वाध्याय ( Class ) –13
निश्चय हिंसा, स्व हिंसा या भाव हिंसा क्या है?
एवं सावधानी रहित सभी क्रियाओं में हिंसा क्यों है?

( सूत्र: -13)
स्वाध्याय ( Class ) –12
संवेग भाव से क्या तात्पर्य है?
संवेग और वैराग्य भाव में कैसे वृद्धि होती है?

( सूत्र: -12)
स्वाध्याय ( Class ) –11
मन की शान्ति और एकाग्रता के लिए आवश्यक चार भावनाएं

( सूत्र: -11)
स्वाध्याय ( Class ) –10
मैत्री और प्रमोद भावना को कैसे भाएं?

( सूत्र: -11)
स्वाध्याय ( Class ) –9
पाँच पापों के फल का चिन्तन कैसे करें?

( सूत्र: 9-10)
स्वाध्याय ( Class ) –8
बाह्य और आन्तरिक परिग्रह क्या है?
एवं राग-द्वेष का परिग्रह पर प्रभाव

( सूत्र: -8)
स्वाध्याय ( Class ) –7
ब्रह्मचर्य व्रत की रक्षा के लिए
क्या ध्यान रखना चाहिए?

( सूत्र: -7)
स्वाध्याय ( Class ) –6
सत्य व्रत की रक्षा कैसे होती है?
एवं अचौर्य व्रत के लिए आवश्यक भावनाएं

( सूत्र: -6)
स्वाध्याय ( Class ) –5
मनोगुप्ति का पालन कैसे किया जाता है?
अहिंसा और सत्य व्रत की रक्षा के लिए भावनाएं

( सूत्र: -5)
स्वाध्याय ( Class ) –4
व्रतों की रक्षा में भावनाओं का महत्व,
वचन गुप्ति से व्रत की रक्षा कैसे होती है?

( सूत्र: -4)
स्वाध्याय ( Class ) –3
सम्यग्दृष्टि की व्रतों में कितनी रुचि होती है?
प्रवृत्ति और निवृत्ति रूप संवर

( सूत्र: -3)
स्वाध्याय ( Class ) –2
संवर क्या है?
पाप का संवर पहले होता है या पुण्य का

( सूत्र: -2)

.

स्वाध्याय ( Class ) –1
व्रतों का अनुबन्ध कैसे होता है?

( सूत्र: -1)

.

.


Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision [ अध्याय 7]

.

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -5

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

.

स्वाध्याय ( Class ) –45
व्यवहार काल का स्वरूप, द्रव्य के गुणों की विशेषताएं
एवं शुद्ध और अशुद्ध पर्याय कब होती हैं?

( सूत्र: 41-43)

.

स्वाध्याय ( Class ) –44
पर्याय क्रमवर्ती होती हैं क्रमबद्ध नहीं, क्रमबद्ध पर्याय आगम
का शब्द नहीं है एवं निश्चय काल का स्वरूप

( सूत्र: 39-40)

.

स्वाध्याय ( Class ) –43
द्रव्य-गुण-पर्याय में सम्बन्ध, द्रव्य के समान्य-विशेष गुण, पर्याय के
भेद एवं पर्याय क्रमवर्ती होती हैं क्रमबद्ध नहीं

( सूत्र: -38)

.

स्वाध्याय ( Class ) –42
पुद्गल परमाणु का परस्पर बन्ध क्यों
और किस प्रकार होता है ?

( सूत्र: 33-37)

.

स्वाध्याय ( Class ) –41
सप्त भंग की व्यवस्था क्या है?
विवक्षा और एकांतवाद से तात्पर्य

( सूत्र: -32)

.

स्वाध्याय ( Class ) –40
द्रव्य का आस्ति-नास्ति धर्म, अर्पित-अनर्पित व्यवस्था
एवं द्रव्य में स्थित विपरीत गुण-धर्म के कथन की विधि

( सूत्र: -32)

.

स्वाध्याय ( Class ) –39
उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य का उदाहरण
एवं नित्‍यता का भाव

( सूत्र: 30-31)

.

स्वाध्याय ( Class ) –38
उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य किसे कहते हैं?
क्या सिद्ध भगवान में उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य होता है?

( सूत्र: -29)

.

स्वाध्याय ( Class ) –37
द्रव्य का कभी विनाश क्यों नही होता?
एवं वास्तव में आस्तिक कौन है?

( सूत्र: -29)

.

स्वाध्याय ( Class ) –36
जैन विज्ञान की व्यापकता, स्कन्ध और अणु की उत्पत्ति
कैसे होती है एवं भेद-संघात क्या है?

( सूत्र: 26-28)

.

स्वाध्याय ( Class ) –35
स्कन्ध के प्रकार, कौन से स्कन्ध इन्द्रियों से जाने जाते हैं?
एवं विज्ञान का सीमित और सर्वज्ञ का व्यापक ज्ञान

( सूत्र: -25)

.

स्वाध्याय ( Class ) –34
पुद्गल के भेद, परमाणु के गुण और विशेषताएँ
एवं स्कन्ध के प्रकार (उदाहरण सहित)

( सूत्र: -25)

.

स्वाध्याय ( Class ) –33
पुद्गल के 4 गुण और 10 पर्यायें एवं इनके विभिन्न प्रकार

( सूत्र: 23-24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –32
व्यवहार काल में Time का विभाजन
एवं पुद्गल द्रव्य के लक्षण

( सूत्र: 22-23)

.

स्वाध्याय ( Class ) –31
वर्तना, परिणमन और क्रिया में सम्बन्ध,
काल का महत्व एवं परत्व-अपरत्व क्या है?

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –30
पुरुषार्थ -गुणस्थान -सम्यग्दर्शन कौन से परिणमन हैं?
पुरुषार्थ हमारे हाथ में है वैस्रसिक परिणमन या परिणाम नही

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –29
वर्तना और परिणमन में अन्तर, अनादि-सादि और
वैस्रसिक-प्रायोगिक परिणमन एवं गुणस्थान कैसे बनते हैं?

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –28
कालाणु क्या है? काल द्रव्य के प्रकार
एवं परमार्थ (निश्चय) काल का वर्तना लक्षण और महत्व

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –27
पुद्गल द्वारा पुद्गल पर उपकार कैसे होता है?
जीव का जीव पर उपकार (परस्परोपग्रहोजीवानाम्)

( सूत्र: -21)

.

स्वाध्याय ( Class ) –26
निमित्त द्वारा असाता की उदीरणा कैसे हो जाती है?
जीवन और मरण के रूप में पुद्गल का उपकार

( सूत्र: -20)

.

स्वाध्याय ( Class ) –25
सुख और दुख के रूप में पुद्गल का उपकार, सुख के कारण
एवं दुख को उपकार क्यों माना गया है?

( सूत्र: -20)

.

स्वाध्याय ( Class ) –24
मन का अभिघात और पराभव, प्राणापान (श्‍वासोच्‍छवास) पौद्गलिक क्यों
एवं संसारी जीव अमूर्तिक क्यों है?

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –23
शब्द शक्ति का महत्व, द्रव्य मन-भाव मन
एवं वचन और मन को पौद्गलिक क्यों माना जाता है?

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –22
पुद्गल द्रव्य का शरीर और वचन के रूप में जीव द्रव्य पर उपकार,
द्रव्य वचन-भाव वचन एवं वचन की उत्पत्ति कैसे होती है?

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –21
धर्म-अधर्म, आकाश द्रव्य के उपकार का अनुभव
एवं द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय से द्रव्यों का उपकार व स्वतन्त्रता

( सूत्र: -18)

.

स्वाध्याय ( Class ) –20
जीव द्रव्य में संकोच-विस्तार कैसे अनुभव में आता है?
धर्म-अधर्म द्रव्य का उपकार एवं उदासीन-प्रेरक निमित्त

( सूत्र: -17)

.

स्वाध्याय ( Class ) –19
जीव द्रव्य में संकोच-विस्तार की सीमा एवं कारण

( सूत्र: -16)

.

स्वाध्याय ( Class ) –18
लोकाकाश के असंख्यात प्रदेश में अनन्त पुद्गल परमाणु कैसे समा जाते हैं?
एवं लोकाकाश में पुद्गल और जीव द्रव्य का अवगाहित होना

( सूत्र: 14-15)

.

स्वाध्याय ( Class ) –17
आधार-आधेय सम्बन्ध, युत सिद्ध-अयुत सिद्ध सम्बन्ध
एवं लोकाकाश में पुद्गल द्रव्य का अवगाह

( सूत्र: 13-14)

.

स्वाध्याय ( Class ) –16
लोकाकाश का अर्थ, विभूत्व, अवगाहन शक्ति
एवं धर्म-अधर्म द्रव्य किस प्रकार लोकाकाश में व्याप्त रहते हैं?

( सूत्र: 12-13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –15
पुद्गल स्कन्ध और अणु के प्रदेश
एवं क्या शुद्ध जीव भी क्रिया करते हैं?

( सूत्र: 10-11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –14
आत्मा के प्रदेश कैसे अनुभव में आते हैं?
एवं द्रव्य का एक व अनेक रूप स्वभाव

( सूत्र: -9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –13
अनन्त प्रदेश वाले द्रव्य कौन से हैं? द्रव्य की अवगाहन, संकोच, विस्तार शक्ति
एवं जीव के चल और अचल प्रदेश

( सूत्र: -9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –12
जीव और पुद्गल द्रव्य की सक्रियता में सहायक द्रव्य,
जीव का संकोच और विस्तार स्वभाव
एवं असंख्यात प्रदेश वाले द्रव्य कौन से हैं?

( सूत्र: -8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –11
आकाश, धर्म और अधर्म द्रव्य की विशेषताएँ, सक्रिय और निष्क्रिय द्रव्य
एवं जीव द्रव्य सक्रिय है या निष्क्रिय?

( सूत्र: 6-7)

.

स्वाध्याय ( Class ) –10
आकाश द्रव्य का सीमांकन, गुण व स्वभाव

( सूत्र: -6)

.

स्वाध्याय ( Class ) –9
रूपी और अरूपी द्रव्य, पुद्गल द्रव्य की विशेषता
एवं अन्धेरा कौन सा द्रव्य है?

( सूत्र: -5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –8
जैन दर्शन और विज्ञान में समानता
एवं द्रव्य के नित्य और अवस्थित होने में क्या अन्तर है?

( सूत्र: 4-5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –7
द्रव्य के समान्य और विशेष गुण, द्रव्यार्थिक नय और पर्यायार्थिक नय
एवं द्रव्य की नित्यता से तात्पर्य

( सूत्र: -4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –6
जीव द्रव्य की विशेषता एवं द्रव्य के परिणमन में उसकी अन्तरंग शक्ति
और बाह्य निमित्त का होना क्यों आवश्यक है?

( सूत्र: 2-3)

.

स्वाध्याय ( Class ) –5
क्या द्रव्य के परिणमन के लिए परद्रव्य आवश्यक है?
एवं द्रव्य परिणमन के अन्तरंग और बहिरंग निमित्त

( सूत्र: -2)

.

स्वाध्याय ( Class ) –4
अजीव अस्तिकाय किसे कहते हैं? द्रव्य में परिवर्तन के प्रकार
एवं परिवर्तन के लिए आवश्यक कारण

( सूत्र: -1)

.

स्वाध्याय ( Class ) –3
धर्म और अधर्म द्रव्य के एक साथ रहने का कारण, आकाश द्रव्य का महत्व
एवं पुद्गल द्रव्य का अर्थ व स्वरूप

( सूत्र: -1)

.

स्वाध्याय ( Class ) –2
धर्म और अधर्म द्रव्य का अर्थ, कार्य व महत्व

( सूत्र: -1)

.

स्वाध्याय ( Class ) –1
छह द्रव्यों का स्वरूप

( सूत्र: -1)

.

Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision [ अध्याय 5]

.

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -4

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

.

स्वाध्याय ( Class ) –33
देवों की जघन्य व उत्कृष्ट आयु, नारकियों की जघन्य आयु
एवं देवों का मानसिक आहार

( सूत्र: 33-42)

.

स्वाध्याय ( Class ) –32
घातायुष्क की व्यवस्था कहाँ तक होती है ? वैमानिक देवियों की आयु
एवं ग्रैवेयक आदि ऊपर के स्वर्गों में देव आयु

( सूत्र: 31-33)

.

स्वाध्याय ( Class ) –31
वैमानिक देवों की आयु
( सूत्र: 29-31)

.

स्वाध्याय ( Class ) –30
भवनवासी देवों की आयु, बद्धमान-भुज्यमान आयु में अन्तर
एवं घातायुष्क का अर्थ

( सूत्र: 28-29)

.

स्वाध्याय ( Class ) –29
सूक्ष्म और बादर एकेन्द्रिय जीवों की विशेषताएँ
एवं ये कहाँ रहते हैं?

( सूत्र: 27-28)

.

स्वाध्याय ( Class ) –28
अध्याय तीन और चार का संक्षेप सार एवं पुन: स्मरण
( सूत्र: -27)

.

स्वाध्याय ( Class ) –27
लौकान्तिक देवों की विशिष्टता
एवं कौन से देव एक या दो भवावतारी होते हैं?

( सूत्र: 25-26)

.

स्वाध्याय ( Class ) –26
लौकान्तिक देवों के निवास स्थान, प्रकार, विमानों की संख्या
एवं लौकान्तिक देव कौन बनता है?

( सूत्र: -24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –25
किस वैमानिक देव में कौनसी लेश्या होती है?
एवं लौकान्तिक देवों की विशेषता

( सूत्र: 23-24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –24
मरण समय जीव के कैसे परिणाम होने चाहिए?
एवं विभिन्न जीवों में द्रव्य लेश्या के प्रकार

( सूत्र: 22-23)

.

स्वाध्याय ( Class ) –23
लेश्या परिवर्तन, वैमानिक देवों की भाव लेश्या
एवं मृत्यु या आयु बन्ध के समय लेश्या का प्रभाव

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –22
द्रव्य और भाव लेश्या में अन्तर
एवं भाव लेश्या के प्रकार

( सूत्र: -22)

.

स्वाध्याय ( Class ) –21
कौन से जीव किस स्वर्ग तक जा सकते हैं?
एवं देव कहाँ उत्पन्न हो सकते हैं

( सूत्र: 20-21)

.

स्वाध्याय ( Class ) –20
वैमानिक देवों के शरीर की ऊँचाई
एवं ऊपरी विमानों के देवों की विशेषताएँ

( सूत्र: 20-21)

.

स्वाध्याय ( Class ) –19
वैमानिक देवों की शक्तियाँ, सुख की अनुभूति
एवं गमन-आगमन

( सूत्र: 20-21)

.

स्वाध्याय ( Class ) –18
स्वर्ग के विमानों के पटल,संख्या एवं इन्द्र

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –17
सोलह स्वर्ग, नौ ग्रैवेयक, नौ अनुदिश
एवं पाँच अनुत्तर विमानों का वर्णन

( सूत्र: 18-19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –16
वैमानिक देवों की विशेषताएँ
एवं उनके विमानों के प्रकार

( सूत्र: 16-18)

.

स्वाध्याय ( Class ) –15
क्या पृथ्वी स्थिर है?
एवं काल के विभाजन का कारण

( सूत्र: 13-15)

.

स्वाध्याय ( Class ) –14
दिन रात के छोटे बड़ा होने का कारण
एवं संक्रान्ति के प्रकार

( सूत्र: -13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –13
मनुष्य लोक में सूर्य, चन्द्रमा के परिक्रमा क्षेत्र
एवं सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन होने का कारण

( सूत्र: -13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –12
कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष, सूर्य ग्रहण, सूर्य की उष्णता
एवं चंद्रमा की शीतलता का कारण

( सूत्र: -12)

.

स्वाध्याय ( Class ) –11
ज्योतिषी देवों के विमानों की विशेषता?

( सूत्र: -12)

.

स्वाध्याय ( Class ) –10
ज्योतिषी देवों के विमान कहाँ स्थित हैं?

( सूत्र: -12)

.

स्वाध्याय ( Class ) –9
व्यन्तर देवों के भेद, विक्रिया, शक्ति, आयु एवं आकृति

( सूत्र: -11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –8
व्यन्तर देवों के भेद एवं विशेषताएं

( सूत्र: -11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –7
व्यन्तर देवों के आठ भेद

( सूत्र: -11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –6
भवनवासी देवों के प्रकार एवं विशेषताएं

( सूत्र: 9-10)

.

स्वाध्याय ( Class ) –5
देवों में काम वेदना

( सूत्र: 7-9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –4
भवनवासी, व्‍यन्‍तर और ज्योतिषी देवों की विशेषताएं

( सूत्र: 5-7)

.

स्वाध्याय ( Class ) –3
दस प्रकार के देवों की व्यवस्था

( सूत्र: 3-4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –2
देवों की लेश्या और भेद
( सूत्र: 2-3)

.

स्वाध्याय ( Class ) –1
देवों का वर्णन
( सूत्र: -1)

.

.

Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision [ अध्याय 4]

.

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -3

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

.

स्वाध्याय ( Class ) –36
अर्हं ध्यान के माध्यम से मध्य लोक के अकृत्रिम जिनालयों की वंदना

.

स्वाध्याय ( Class ) –35
त्रेसठ शलाका पुरुष, मनुष्य-तिर्यंच गति में आयु
एवं तीसरे अध्याय का फल

( सूत्र: 37-38)

.

स्वाध्याय ( Class ) –34
ढाई द्वीप में भोगभूमि-कर्मभूमि
एवं किस भूमि में कर्मों का संचय होता हैं?

( सूत्र: -37)

.

स्वाध्याय ( Class ) –33
अंतरद्वीपज म्लेच्छ मनुष्यों के रहने के स्थान, शरीर की आकृति
एवं उत्पत्ति के कारण

( सूत्र: -36)

.

स्वाध्याय ( Class ) –32
मनुष्यों के प्रकार एवं 7 ऋद्धियाँ

( सूत्र: -36)

.

स्वाध्याय ( Class ) –31
किस समय मनुष्य की आत्मा के प्रदेश ढाई द्वीप के बाहर भी होते हैं?

( सूत्र: 35-36)

.

स्वाध्याय ( Class ) –30
असंख्यात द्वीप समुद्रों में कर्म व भोगभूमि की व्यवस्था एवं ढाई द्वीप का वर्णन

( सूत्र: 34-35)

.

स्वाध्याय ( Class ) –29
धातकीखंड एवं पुष्करार्ध द्वीप की रचना

( सूत्र: 33-34)

.

स्वाध्याय ( Class ) –28
जम्बूद्वीप और धातकीखंड के किस क्षेत्र में कौन सा काल रहता है?

( सूत्र: 31-33)

.

स्वाध्याय ( Class ) –27
अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी काल परिवर्तन एवं उसका प्रभाव

( सूत्र: -30)

.

स्वाध्याय ( Class ) –26
दस प्रकार के कल्पवृक्ष एवं उनसे प्राप्त होने वाली भोग सामग्री

( सूत्र: -30)

.

स्वाध्याय ( Class ) –25
जम्बूद्वीप के क्षेत्रों में काल परिवर्तन एवं मनुष्य की आयु

( सूत्र: 28-30)

.

स्वाध्याय ( Class ) –24
भोगभूमि का जीवन कैसा होता है?

( सूत्र: -27)

.

स्वाध्याय ( Class ) –23
आर्य खंड में काल परिवर्तन

( सूत्र: -27)

.

स्वाध्याय ( Class ) –22
जम्बूद्वीप के क्षेत्रों का विस्तार

( सूत्र: 24-27)

.

स्वाध्याय ( Class ) –21
चौदह महानदियों का रोचक वर्णन

( सूत्र: 20-23)

.

स्वाध्याय ( Class ) –20
सरोवरों के मध्य से निकलने वाली 14 नदियाँ

( सूत्र: 19-20)

.

स्वाध्याय ( Class ) –19
अकृत्रिम सरोवरों में देवियों के निवास स्थान

( सूत्र: -19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –18
अकृत्रिम कमल वनस्पतिकायिक हैं या पृथ्वीकायिक?

( सूत्र: -18)

.

स्वाध्याय ( Class ) –17
अकृत्रिम सरोवरों और कमलों की अद्भुत सुन्दरता

( सूत्र: 15-18)

.

स्वाध्याय ( Class ) –16
जम्बूद्वीप के सरोवर और उनकी विशेषता

( सूत्र: 14-15)

.

स्वाध्याय ( Class ) –15
कहाँ है सोने चाँदी के पर्वत ?

( सूत्र: 12-13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –14
जम्बूद्वीप की संरचना

( सूत्र: -11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –13
जम्बूद्वीप की संरचना

( सूत्र: 10-11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –12
भरत क्षेत्र के छह खण्ड और मध्य लोक के 458 अकृत्रिम चैत्यालय

( सूत्र: 10-11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –11
पृथ्वी की वास्तविक आकृति कैसी है ?

( सूत्र: 10-11)

.

स्वाध्याय ( Class ) –10
जम्बूद्वीप और असंख्यात द्वीप समुद्र की आकृति

( सूत्र: -9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –9
शाश्वत,असंख्यात,अनंत को जाने

( सूत्र: 8-9)

.

स्वाध्याय ( Class ) –8
दुनिया का वास्तविक भूगोल

( सूत्र: -8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –7
सूर्य, चाँद, तारे कहाँ होते हैं?

( सूत्र: 7-8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –6
नरकों में कौन जन्म लेता है?

( सूत्र: -6)

.

स्वाध्याय ( Class ) –5
नारकी भाव क्या है इससे कैसे बचें?

( सूत्र: 4-5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –4
नारकियों के वैक्रियक शरीर की विशेषता

( सूत्र: 3-4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –3
नारकी जीवों के दुःखों को जानना क्यों है ज़रूरी ? 

( सूत्र: -2)

.

स्वाध्याय ( Class ) –2
क्या नरकों में देव भी रहते हैं? 

( सूत्र: 1-2)

.

स्वाध्याय ( Class ) –1
लोक में नरक कहाँ होते हैं?

( सूत्र: -1)

.

.

.

Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision [ अध्याय -3]

.


श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -2 [ सूत्र : 13-53]

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

.

.

स्वाध्याय ( Class ) –56
क्षेत्रों में वेद व्यवस्था

( सूत्र: 52-53)

.

स्वाध्याय ( Class ) –55
द्रव्य वेद और भाव वेद

( सूत्र: 50-51)

.

स्वाध्याय ( Class ) –54
जैन जीव विज्ञान

( सूत्र: 49)

.

स्वाध्याय ( Class ) –53
क्या होता है उपभोग

( सूत्र: 44-48)

.

स्वाध्याय ( Class ) –52
संसारी जीवों में तैजस और कार्मण शरीर का सम्बन्ध

( सूत्र: 42-43)

.

स्वाध्याय ( Class ) –51
तैजस और कार्मण शरीर का आत्मा से सम्बन्ध

( सूत्र: 41)

.

स्वाध्याय ( Class ) –50
विभिन्न शरीरों में प्रदेश व परमाणु की संख्या

( सूत्र: 37-39)

.

स्वाध्याय ( Class ) –49
वैक्रियिक और आहारक शरीर

( सूत्र: 36-40)

.

स्वाध्याय ( Class ) –48
—–

( सूत्र: 36-40)

.

स्वाध्याय ( Class ) –47
—–

( सूत्र: 31-35)

.

स्वाध्याय ( Class ) –46
—–

( सूत्र: 31)

.

स्वाध्याय ( Class ) –45
जन्म और जन्म-स्थान के भेद

( सूत्र: 29-31)

.

स्वाध्याय ( Class ) –44
जीव कितने समय तक अनाहारक रह सकता है?

( सूत्र: 28)

.

स्वाध्याय ( Class ) –43
तीन लोक का मानचित्र

( सूत्र: 28)

.

स्वाध्याय ( Class ) –42
ऋजुगति और विग्रहगति

( सूत्र: 27-28)

.

स्वाध्याय ( Class ) –41
—–

( सूत्र: 25-27)

.

स्वाध्याय ( Class ) –40
विग्रहगति की गति

( सूत्र: 25)

.

स्वाध्याय ( Class ) –39
विग्रहगति एवं योग

( सूत्र: 25)

.

स्वाध्याय ( Class ) –38
मन का तीसरा विशेष कार्य आलाप

( सूत्र: 24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –37
—–

( सूत्र: 24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –36
 इन्द्रियों का ज्ञान

( सूत्र: 22-24)

.

स्वाध्याय ( Class ) –35
 इन्द्रियों का ज्ञान

( सूत्र: 19-21)

.

स्वाध्याय ( Class ) –34
 इन्द्रियों का ज्ञान

( सूत्र: 19-20)

.

स्वाध्याय ( Class ) –33
—–

( सूत्र: 19)

.

स्वाध्याय ( Class ) –32
 क्या होता है निर्वृत्ति और उपकरण?

( सूत्र: 17-18)

.

स्वाध्याय ( Class ) –31
 इन्द्रिय और जीव का ज्ञान

( सूत्र: 15-17)

.

स्वाध्याय ( Class ) –30
 कैसे होते हैं त्रस जीव

( सूत्र: 14)

.

स्वाध्याय ( Class ) –29
सप्रतिष्ठित और अप्रतिष्ठित वनस्पति

( सूत्र: 13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –28
—–

( सूत्र: 13)

.

स्वाध्याय ( Class ) –27
स्थावर जीवों का वर्णन

( सूत्र: 13)

.

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision

.

.

Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

.

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय कक्षा

अध्याय -2 [ सूत्र : 1-12 ]

परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र का
नए रूप में (Animations और Visualizations के साथ) स्वाध्याय

.

.

स्वाध्याय ( Class ) –26
संज्ञी और असंज्ञी जीव

(19-May-2022)

( सूत्र: 11-12)

.

स्वाध्याय ( Class ) –25
पंच परावर्तन

(18-May-2022)

( सूत्र: 9-12)

.

स्वाध्याय ( Class ) –24
जीव के भेद

(17-May-2022)

( सूत्र: 9-12)

.

स्वाध्याय ( Class ) –23
ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग

(16-May-2022)

( सूत्र: 8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –22
 हेतुओं का सन्निधान

(13-May-2022)

( सूत्र: 8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –21
जीव के लक्षण

(12-May-2022)

( सूत्र: 8)

.

स्वाध्याय ( Class ) –20
भव्यत्व और अभव्यत्व

(11-May-2022)

( सूत्र: 7)

.

स्वाध्याय ( Class ) –19
भव्यत्व और अभव्यत्व के गुण

(10-May-2022)

( सूत्र: 7)

.

स्वाध्याय ( Class ) –18
कौनसी लेश्या शुभ हैं कौनसी अशुभ  

(09-May-2022)

( सूत्र: 6-7)

.

स्वाध्याय ( Class ) –17
  सैद्धान्तिक और आध्यात्मिक दृष्टि में अन्तर 

(06-May-2022)

( सूत्र: 6)

.

स्वाध्याय ( Class ) –16
 मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति 

(04-May-2022)

( सूत्र: 6)

.

स्वाध्याय ( Class ) –15
गति, कषाय औदयिक भाव

(03-May-2022)

( सूत्र: 6)

.

स्वाध्याय ( Class ) –14
संयम असंयम ज्ञान

(02-May-2022)

( सूत्र: 5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –13
कषायों का क्रम

(28-Apr-2022)

( सूत्र: 5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –12
कर्म के उपकार

(27-Apr-2022)

( सूत्र: 5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –11
क्षयोपशम लब्धियाँ

(26-Apr-2022)

( सूत्र: 5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –10
कर्म की शक्ति 

(25-Apr-2022)

( सूत्र: 4-5)

.

स्वाध्याय ( Class ) –9
कर्म क्षय से भगवान को क्या मिला?

(20-Apr-2022)

( सूत्र: 4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –8
(19-Apr-2022)

(सूत्र: 4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –7
(18-Apr-2022)

(सूत्र: 4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –6
(15-Apr-2022)

(सूत्र: 3-4)

.

स्वाध्याय ( Class ) –5
(14-Apr-2022)

(सूत्र: 3)

.

स्वाध्याय ( Class ) –4
(13-Apr-2022)

(सूत्र: 3)

.

स्वाध्याय ( Class ) –3
(11-Apr-2022)

(सूत्र: 1-3)

.

स्वाध्याय ( Class ) – 2
(08-Apr-2022)

(सूत्र: 1)

.

स्वाध्याय ( Class ) – 1
(07-Apr-2022)

(सूत्र: 1)

.

.

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय Revision

अध्याय-2

.

.

Note– प्रतिदिन की स्वाध्याय कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न, अभ्यास पेपर, लिखित नोट्स, summary आदि अध्ययन सामग्री एवं विजेताओं के नाम फोटो को, अभ्यास सामग्री के लिंक पर click करके देखा जा सकता है —

अभ्यास सामग्री Click here

श्री तत्त्वार्थ सूत्र Online स्वाध्याय क्यों है अनूठा स्वाध्याय ?

क्या है इसमें विशेष ?

.

       स्वाध्याय वह माध्यम है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने बारे में भी जानता है और अपने चारों तरफ की दुनिया की वास्तविकता के बारे में भी जानना सीखता है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथराज जैन आगम का सर्व प्रचलित, सर्व प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रंथ है। सम्पूर्ण जैन आगम इस ग्रंथ में सार रूप में समाया हुआ है। श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ को जिसने एक बार अच्छे से समझ लिया, उसको जैन आगम के बारे में basic और महत्वपूर्ण ज्ञान हो जाता है। प्रत्येक जैन व्यक्ति एवं परिवार को कम से कम, श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का ज्ञान तो होना ही चाहिए, तभी उनका, इतने पुण्योदय से मिले जैन कुल में, जन्म लेना सफल होगा। आधुनिक समय में यदि हमने विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि अनेक तरह का खूब ज्ञान प्राप्त किया और उसके सहारे जिंदगी में आगे बढ़े, लेकिन हमने उस महत्वपूर्ण ज्ञान को नहीं जाना, जिससे आत्मिक रूप से यह जन्म ही नहीं,बल्कि आगे के जन्म भी सफल हो जाते तो दुर्भाग्य जैसा ही होगा। 

        श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ को सभी बाल, युवा, वृद्ध सरलता से समझ सकें, उसका चिंतन कर सकें, इसी बात को ध्यान में रखकर, अर्हं गुरुकुलं श्री तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय को एक नए और अनोखे रूप में सबके सामने लेकर आया है। स्वाध्याय के क्षेत्र में इसे एक नया innovation, खोज या नया idea कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

        सभी क्षेत्रों में नए नए प्रयोग, ideas, रिर्सच से, जैसे न केवल तेजी से विकास होता है बल्कि एक नयापन भी बना रहता है, वैसे ही स्वाध्याय के क्षेत्र में, इस नए प्रयोग से तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय बहुत रुचिकर एवं आकर्षक बन गया है। 

 इस तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय में अनेक ऐसी सुन्दर विशेषताएं हैं जो इसे अनूठा स्वाध्याय बना देती हैं जैसे कि—

       (1) यह स्वाध्याय कक्षा, श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रन्थराज पर, परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा की गई वाचना पर आधारित है। पूज्य मुनि श्री के प्रवचन तो उनकी अद्भुत, सरल शैली के लिए जाने ही जाते हैं, जिससे कठिन से कठिन, गूढ़ विषय भी अति सरल रूप से समझ में आ जाता है। अर्हं गुरुकुलं ने इन सरल प्रवचनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ एवं अनेक माध्यमों से और ज्यादा सरल बना दिया है।

       (2) पूज्य मुनिश्री की तत्त्वार्थ सूत्र वाचना को, इस स्वाध्याय में, एक कक्षा का रूप दे दिया गया है। ऐसा नहीं लगता कि हम स्वाध्याय कर रहे हैं, बल्कि ऐसा अनुभव होता है, जैसे कि हम किसी कक्षा में बैठकर ही कुछ सीख रहे हैं, जिसमें टीचर भी है और साथ में लिखने के लिए Digital बोर्ड भी है वर्तमान समय में जैसे बच्चे Online Class के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, वैसे ही यहां पर विद्यार्थी online class के माध्यम से श्री तत्त्वार्थ सूत्र ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं। 

       (3) वाचना को आधुनिक Online class के रूप में प्रस्तुत करने का यह अद्भुत नया प्रयोग है। अनेक तरह के ग्राफिक, एनीमेशन, वीडियो visualization के साथ यह स्वाध्याय कक्षा अनोखी बन गई है।

        (4) स्वाध्याय कक्षा की screen पर एक तरफ पूज्य मुनि श्री का वीडियो दिखता है, जिसमें वह तत्त्वार्थ सूत्र को समझा रहे हैं। उसी screen पर साथ में डिजिटल बोर्ड पर महत्वपूर्ण Heading व नोट्स आते रहते हैं, जिससे विषय में एकाग्रता बनी रहती है। डिजिटल बोर्ड पर केवल Black colour  से ही नहीं, बल्कि अनेक colours में लेखन दिखता है, जो सुन्दर लगता है।

        (5) इसके साथ ही, जहाँ विषय को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है, वहाँ वीडियो और ग्राफिक एनिमेशन दिखाई देते हैं। इससे विषय बहुत ही सरल और रुचिकर बन जाता है और मन इतना एकाग्र हो जाता कि उसका कहीं और जाने का मन नहीं करता। 

        (6) वाचना के साथ चलने वाला visualization ह्रदय को प्रभावित कर जाता है। सभी विषय सरलता से छोटे बच्चों को भी समझ में आ जाते हैं। visualization की स्मृति मस्तिष्क में गहराई से बैठती है तो उसके साथ विषय भी स्मृति में बना रहता है।

       (7) visualization को अनेक तरह से आकर्षक बना दिया गया है। कभी स्क्रीन का कलर change होता है, तो कभी उस पर राइटिंग का कलर change हो जाता है। कभी सुन्दर एनिमेशन आ जाते हैं तो कहीं अनेक प्रकार के वीडियो। कुल मिलाकर colourful और variety से भरपूर visualization के साथ ये कक्षाएं सभी को आकर्षित करती हैं। इस कार्य के लिए तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय टीम का कठिन परिश्रम बहुत सराहनीय है।

       (8) कक्षा के अंत में उस दिन की कक्षा का एक छोटा सा revision होता है और कक्षा के प्रारंभ में भी पूर्व दिन की कक्षा का revision होता है। जिससे  की विषय का पूर्ण content स्मृति में रखने में सहायता मिलती हैं। एनिमेशन के साथ, यह quick revision भी सरल बन जाता है। 

(9) कक्षा के अंत में पूज्य मुनि श्री के मधुर स्वर में जिनवाणी स्तुति सुनने और पढ़ने का सौभाग्य भी विद्यार्थियों को मिलता है।

 (10)  कक्षा में, 1 सवाल भी अंत में पूछा जाता है, जिसका जवाब देने वाले विद्यार्थियों में से, तीन भाग्यशाली विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

(11)  विद्यार्थियों को इसके साथ ही प्रत्येक दिन की, कक्षा की लिखित सामग्री, लिखित summary और अपना मूल्यांकन करने के लिए एक अभ्यास पत्र भी दिया जाता है। 

(12) प्रत्येक अध्याय के समाप्त होने के बाद एक परीक्षा का भी आयोजन किया जाता है।  Revision classes एवं अनेक माध्यमों से विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी करा दी जाती है। 

       इस अनूठी Online स्वाध्याय  कक्षा में, अनूठे ढंग से अध्ययन करते हुए विद्यार्थियों को श्री तत्वार्थ सूत्र जी ग्रन्थ का स्वाध्याय करने का एक नया अभूतपूर्व और अनूठा अनुभव हो रहा है।

.

श्री तत्त्वार्थ सूत्र शंका समाधान

शंका समाधान -46

.

.

शंका समाधान -45

.

.

शंका समाधान -44

.

.

शंका समाधान -43

.

.

शंका समाधान -42

.

.

शंका समाधान -41

.

.

शंका समाधान -40

.

.

शंका समाधान -39

.

.

शंका समाधान -38

.

.

शंका समाधान -37

.

.

शंका समाधान -36

.

.

शंका समाधान -35

.

.

शंका समाधान -34

.

.

शंका समाधान -33

.

.

शंका समाधान -32

.

.

शंका समाधान -31

.

.

शंका समाधान -30

.

.

शंका समाधान – 29

.

.

शंका समाधान – 28

.

.

शंका समाधान – 27

.

.

शंका समाधान – 26

.

.

शंका समाधान – 25

.

.

शंका समाधान – 24

.

.

शंका समाधान – 23

.

.

शंका समाधान – 22

.

.

शंका समाधान – 21

.

.

शंका समाधान – 20

.

.

शंका समाधान – 19

.

.

शंका समाधान – 18

.

.

शंका समाधान – 17

.

.

शंका समाधान – 16

.

.

शंका समाधान -15

.

.

शंका समाधान – 14

.

.

शंका समाधान – 13

.

.

शंका समाधान – 12

.

.

शंका समाधान – 11(b)

.

.

शंका समाधान – 11(a)

.

.

शंका समाधान – 10

.

.

शंका समाधान – 9

.

.

शंका समाधान – 8

.

.

शंका समाधान – 7

.

.

शंका समाधान – 6

.

.

शंका समाधान – 5

.

.

शंका समाधान – 4

.

.

शंका समाधान – 3

.

.

शंका समाधान – 2

.

.

शंका समाधान – 1

.

.