गांधी जयंती के अवसर पर, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की उपस्थिति में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में
परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा रचित जिनवाणी स्तुति

स्वर – राष्ट्र गौरव, प्राकृत विदुषि डा० इन्दु जैन

                  गांधी जयंती को हमारे देश में अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर को इस अवसर पर अनेक आयोजन किए जाते हैं। इस वर्ष भी गांधी जयन्ती एवं अहिंसा दिवस के अवसर पर राजघाट पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। सर्व धर्म प्रार्थना सभा में इस बार परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज द्वारा सर्वप्राचीन प्राकृत भाषा में रचित जिनवाणी थुदि (जिनवाणी स्तुति) का पाठ भी किया गया।

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                  पूज्य मुनि श्री द्वारा रचित यह प्राकृत जिनवाणी स्तुति सभी को बहुत प्रिय लगती है और इसका अर्थ भी अपने आप में एक सुन्दर संदेश देता है। प्राकृत जैसी मृदु भाषा में इसका पाठ श्रोताओं को आनंदित कर देता है।

                  राष्ट्र गौरव, प्राकृत विदुषि डा० इन्दु जैन जी उच्च कोटि की विद्वान हैं, उसके साथ ही वे मधुर कंठ की धनी भी हैं। उनके द्वारा किसी विषयवस्तु का प्रस्तुतीकरण भी बहुत अनूठा और प्रभावी होता है। डा० इन्दु जैन ने सर्वधर्म प्रार्थना सभा में जिनवाणी स्तुति का अपने मधुर स्वर में पाठ किया तो सभी श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए।

        यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि अहिंसा दिवस पर यह जिनवाणी स्तुति देश ही नहीं, विदेशों में भी गूंज उठी। देश, विदेश के दर्शकों ने इस आयोजन को दूरदर्शन चैनल पर देखा। राष्ट्र गौरव डा० इन्दु जी ने इस स्तुति के माध्यम से जैन धर्म का इतने सुन्दर रूप में प्रतिनिधित्व किया कि जिसने सभी श्रोतागण का ध्यान आकर्षित किया और सभी को प्रभावित किया।

       डा० इन्दु जी ने जिनवाणी स्तुति के पाठ के बाद बहुत ही सुन्दर व सरल शब्दों में इसका अर्थ भी बताया, जिससे स्तुति का प्रस्तुतीकरण बहुत ही रोचक एवं प्रभावी बन गया। जिनधर्म प्रभावना, गुरु प्रभावना के साथ प्राकृत भाषा को भी राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का डा० इन्दु जी का यह कार्य इतना सराहनीय रहा कि इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।