प्रवचनसार (ज्ञान तत्व अधिकार)

गाथा (1-101)

गर्मी से तपती हुई धरती पर जब मेघों से वर्षा होती है तो सभी जगह हरियाली छा जाती है। इसी प्रकार जब महान ग्रंथराज प्रवचनसार पर परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगलमय वाणी में, प्रवचन के रूप में ज्ञान रूपी अमृत की वर्षा हुई तो ज्ञान के पिपासु श्रोतागणों के मन और आत्मा में खुशहाली छा गई। जो लोग प्रवचनसार जैसे महान ग्रंथ को और उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य, द्रव्य-गुण-पर्याय, ज्ञान-ज्ञेय-ज्ञायक, भव्य-अभव्य आदि शब्दों को कोशिश करके भी समझ नहीं पा रहे थे, उनके लिए तो जैसे कोई खजाना ही खुल गया। इन प्रवचनों को पारस चैनल पर भी daily सुनने के लिए श्रोतागण बेसब्री से इंतजार करते थे। इन्हीं प्रवचनों के वीडियो की playlist आप यहां देख सकते हैं:

Posted in Pravachan.

Comments will appear after approval.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.