गाथा (1-101)
गर्मी से तपती हुई धरती पर जब मेघों से वर्षा होती है तो सभी जगह हरियाली छा जाती है। इसी प्रकार जब महान ग्रंथराज प्रवचनसार पर परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगलमय वाणी में, प्रवचन के रूप में ज्ञान रूपी अमृत की वर्षा हुई तो ज्ञान के पिपासु श्रोतागणों के मन और आत्मा में खुशहाली छा गई। जो लोग प्रवचनसार जैसे महान ग्रंथ को और उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य, द्रव्य-गुण-पर्याय, ज्ञान-ज्ञेय-ज्ञायक, भव्य-अभव्य आदि शब्दों को कोशिश करके भी समझ नहीं पा रहे थे, उनके लिए तो जैसे कोई खजाना ही खुल गया। इन प्रवचनों को पारस चैनल पर भी daily सुनने के लिए श्रोतागण बेसब्री से इंतजार करते थे। इन्हीं प्रवचनों के वीडियो की playlist आप यहां देख सकते हैं:
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प्रवचनसार #1,2 | मंगलाचरण | Manglacharan | Pravachansaar | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #003,004,005 | मंगलाचरण | Manglacharan | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #006 | मोक्ष प्राप्ति के उपाय: सराग व वीतराग चरित्र | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #007 | धर्म का स्वरूप | Dharm Ka Swaroop | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #008,009 | धर्मात्मा का अर्थ, आत्मा के उपयोग | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #010,011 | पदार्थ का स्वरूप, शुद्धोपयोग का फल | Padarth Ka Swaroop, Shuddhupyog Ka Fal

प्रवचनसार #012,013 | अशुभोपयोग का फल, निर्वाण सुख का स्वरूप |Ashubh Upyog Ka Fal Aur Nirvaan Ka Sukh

प्रवचनसार #014,015 | शुद्धोपयोग से परिणत आत्मा का स्वरूप | Shuddhopyog Se Parinat Aatma Ka Swaroop

प्रवचनसार #016,017 | पदार्थ का स्वरूप, शुद्धोपयोग का फल | Padarth Ka Swaroop, Shuddhopyog Ka Fal

प्रवचनसार #018 | पदार्थ की पर्याय का उत्पाद और व्यय | Padarth Ki Paryay | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #019,020,021 | अरिहंत भगवान का स्वरूप | Arihant Bhagwan Ka Swaroop |मुनि श्री प्रणम्य सागर

प्रवचनसार #022,023 | केवल ज्ञान का स्वरूप | Kewal Gyan Ka Swaroop | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी

प्रवचनसार #024,025,026 | आत्मा, ज्ञान, ज्ञेय का सम्बंध | Aatma, Gyan, Gyey Ka Sambandh

प्रवचनसार #027,028 | आत्मा और ज्ञान के एकत्व-अन्यत्व | Pravachansaar | Muni shri Pranamya Sagar ji

प्रवचनसार #029,030 | ज्ञेय और ज्ञायक संबंध | Gyey Aur Gyayak Sambandh | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी
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