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डॉक्टर को भगवान का अवतार कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति के प्राणों पर संकट आता है तो डॉक्टर ही भगवान की तरह उसके प्राणों की रक्षा करता है। उसका जीवन सुरक्षित करता है।
डॉक्टर सुहास शहा और डॉक्टर मोनिका शहा दोनों दंपत्ति ऐसे आदर्श चिकित्सक हैं, जिनकी आज के समय में समाज और देश को बहुत आवश्यकता है। दोनों में विज्ञान और अध्यात्म का संगम दिखाई देता है। दोनों ही एक तरफ अपने क्षेत्र में बहुत अनुभवी उच्च कोटि के चिकित्सक हैं, वहीं दूसरी ओर अध्यात्म क्षेत्र में उनकी सेवा, उनके गुण, चरित्र को देखकर सभी आश्चर्य प्रकट करते हैं। डॉक्टर दम्पत्ति दोनों ही प्रतिमा धारी हैं। अपने व्रतों का दढ़ता से पालन करते हैं। गुरु सेवा और वैय्यावृत्ति में तो उन्होंने ऐसा उदाहरण सबके सामने रख दिया जो बहुत कम देखने को मिलता है। दोनों व्रती चिकित्सक अपना समय गुरुजन, मुनिजन की वैय्यावृति, सेवा में लगाते हैं। उनका अनेक तरह से ध्यान रखते हैं। अनेक स्थानों पर जाकर गुरु दर्शन और सेवा करते हैं और अन्य श्रावकों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।
इतना ही नहीं दोनों भव्य चिकित्सकों ने गुरुसेवा को दृष्टि में रखकर “मर्म चिकित्सा” की ट्रेनिंग भी ली है और दूसरे योग्य श्रावकों को भी उसकी ट्रेनिंग देते रहते हैं। जिससे वे भी गुरुजन की उपयुक्त सेवा वैय्यावृति कर सकें। गुरु की वैय्यावृति सबसे बड़ी गुरु सेवा है और कोई चिकित्सक इस सेवा को कैसे कर सकता है, इसका अनूठा उदाहरण डॉक्टर सुहास शहा जी और मोनिका जी हैं।
मोनिका जी जहां एक ओर चिकित्सक है, वहीं दूसरी ओर बहुत अच्छी गायिका भी हैं। परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के द्वारा रचित वर्धमान स्तोत्र को जब उन्होंने पढ़ा तो ये उन्हें इतना प्रिय लगा कि उन्होंने अपनी आवाज में इस स्तोत्र को प्रस्तुत किया। उनकी सुरीली आवाज में वर्धमान स्तोत्र सुनते हुए हृदय में भक्ति के स्रोत बहने लगते हैं। प्रस्तुत ऑडियो में उन्हीं की आवाज में वर्धमान स्तोत्र के भक्ति रस का अनुभव किया जा सकता है।