प्रणम्याष्टक

रचयिता – डॉ. मनोहर लाल आर्य
संस्कृत विभागाध्यक्ष – पतंजलि यूनिवर्सिटी, हरिद्वार

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यस्य भाले हि तेजो विवस्वत्समं, मानसे भाति सोमोपमा शीतता।
प्रीतिता सर्वलोकं प्रति प्राञ्जला, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 1 ॥

नेत्रयोर्भाति कारुण्यधारामला, भावना पावमानी हृदि भ्राजते।
लोकसेवा च येनाङ्गसङ्गीकृता, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 2 ॥

आशिषा यस्य पङ्गुर्गिरिं लङघ्ते, शक्तिहीनो बलेन द्रुतं जृम्भते।
यस्य कीर्तिश्च तारापथं चुम्बते, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 3 ॥

यन्मुखेन्दुप्रसूतं वचः पावनं, भक्तवृन्दं निपीयाशु देवायते।
यस्य सद्दर्शनेनाप्यते दैवतं, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 4 ॥

लोकमुद्धर्तुकामेन येनात्मनो, जीवनं पावनं सर्वमेवार्पितम्।
देवरूपाभिरामं महान्तं बुधं, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 5 ।।

यस्य निःस्वार्थताऽऽदर्शरूपात्मिका, काममोहादिकालुष्यसम्मर्दिनी।
यस्य वैराग्यरागोर्जिता साधना, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 6 ॥

यस्य वैदुष्यमालोक्य विद्योर्जितं, कान्दिशीकायते हन्त हा गीष्पतिः।
श्रावकोद्धारकं ज्ञानरत्नाकरं, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे ॥ 7 ॥

मारसंहारकं मोक्षविद्योतकं, जैनसत्संस्कृतेर्नित्यसम्पोषकम्।
भक्तभक्तिप्रभाभास्करं भासुरं, सागरं तं प्रणम्यं मुनीन्द्रं भजे॥ 8 ॥

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                पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में रहने वाले डा० मनोहर लाल जी आर्य रिटायर्ड प्रोफेसर हैं और पतंजलि यूनिवर्सिटी में संस्कृत विभाग के हेड हैं। वर्तमान समय में वे पतंजलि में आयुर्वेद ग्रंथों के लेखन कार्य में व्यस्त हैं। डा० साहब संस्कृत के वरिष्ठ विद्वान है और अनेक सुंदर, प्रभावी काव्य रचनाएं उन्होंने की हैं।

                डा० मनोहर लाल आर्य जी ने 2019 में मेरठ चतुर्मास के समय परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के प्रथम बार दर्शन किए तो प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। उनको मुनि श्री का दर्शन कर बहुत अच्छा महसूस लगा। उनको मुनि श्री का स्वभाव बहुत सौम्य और व्यक्तित्व बहुत तेजस्वी एवं प्रभावशाली अनुभव हुआ। डा० साहब जैन धर्म के प्रति भी बहुत आस्था रखते हैं, इसलिए मुनि जन के दर्शन करते रहते हैं। जब उन्होंने पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के दर्शन किए और उनके साहित्य, संयम, तप, जीवन के बारे में जाना तो वह अपनी लेखनी को रोक ना सके। उनकी लेखनी से पूज्य मुनि श्री के लिए प्रस्तुत सुन्दर अष्टक, प्रणम्याष्टक रचित हुआ। यही नहीं, डा० साहब ने पूज्य मुनि श्री के जीवन पर एक संस्कृत शतक (संस्कृत के 100 श्लोक) भी लिखा है जो शीघ्र ही प्रकाशित होकर पाठकों को उपलब्ध होगा। 

                डा० साहब कहते हैं — मुझे मुनि श्री और उनका जीवन बहुत पसन्द आया। मेरी हार्दिक इच्छा है,  मैं उनके बारे में और ज्यादा लिखूँ। वे आगे कहते हैं — मुनि श्री संस्कृत के उच्च कोटि के विद्वान हैं। मैंने उनके साहित्य के बारे में अध्ययन किया है। मेरा विचार है, जैसे मुनि श्री ने अपने गुरुजन के उपदेशों, विचारों, वाणी एवं गुणों का अपने ग्रंथों में वर्णन किया है, वैसे ही मुनि श्री के ग्रंथों, विचारों, वाणी, गुणों को व्यक्त करने वाला भी तो कोई ग्रंथ होना चाहिए। 

                पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने अपने गुरु महाराज और आचार्यों भगवन्तों पर अष्टक, संस्कृत के श्लोक लिखे तो डा० मनोहर लाल जी ने मुनि श्री पर यह प्रणम्याष्टक लिखा, जिसमें 8 श्लोकों में ही पूज्य मुनि श्री के गुणों और महिमा का वर्णन सुन्दर, हदयस्पर्शी भावों में किया गया है। यह प्रणम्याष्टक पाठकों और भक्तों को बहुत पसन्द आता है।

               मेरठ के सदर में रहने वाली प्रियंका जैन सुरीली आवाज की धनी हैं, उनकी कर्णप्रिय आवाज सभी को आनंदित कर देती है एवं सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। प्रणम्याष्टक को जब प्रियंका जी ने अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत किया तो सभी का इसको बार-बार सुनने का मन करता रहा। परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के गुणों की महिमा, डॉक्टर मनोहर लाल जी आर्य की प्रभावी लेखन कला और प्रियंका जी की मधुर आवाज इन तीनों का आनन्द श्रोताओं को प्रणम्याष्टक के ऑडियो और वीडियो क्लिप में  प्राप्त हो जाता है।