चातुर्मास मंगल कलश निष्ठापन समारोह

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       अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी प्राकृत भाषा मर्मज्ञ परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज और वात्सल्य मूर्ति परम पूज्य मुनि श्री चंद्र सागर जी महाराज का चातुर्मास (2020) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र मुजफ्फरनगर में संपन्न हुआ। चातुर्मास का सौभाग्य ही नहीं, वरन युगल मुनिराज के शीतकालीन प्रवास का सौभाग्य भी इसी शहर को मिला। 11 मार्च 2020 से 10 फरवरी 2021 तक द्वय मुनिराज का प्रवास इसी शहर में रहा। यह नगरवासियों का तीव्र पुण्योदय था और भक्ति भावों का तत्काल मिला फल कि इस शहर को मुनिराज का लम्बी अवधि तक सानिध्य प्राप्त हुआ।

         मुजफ्फरनगर की चातुर्मास स्थली, जैन मिलन विहार में, 7 फरवरी 2021 को चातुर्मास मंगल कलश निष्ठापन समारोह का आयोजन किया गया चातुर्मास प्रारम्भ के समय  श्रावकों व भक्तों द्वारा मंगल प्रतीक के रूप में कलशों की  स्थापना चातुर्मास स्थल पर की जाती है। चातुर्मास समाप्ति के बाद शुभ, मंगल के प्रतीक यह कलश उन्हीं श्रावकों को प्रदान कर दिए जाते हैं। चातुर्मास स्थल पर मंगल प्रतीक के रूप में स्थापित हुए, इन कलशों को बहुत ही शुभ माना जाता है। जिन्हें श्रावकजन मंगल और पावन प्रतीक के रूप में अपने घरों में स्थापित कर लेते हैं।

        सामान्यतः तो चतुर्मास के बाद पिच्छी परिवर्तन समारोह के अवसर पर ही इन मंगल कलशों का निष्ठापन भी किया जाता है। इस बार पूज्य मुनि श्री का पिच्छी परिवर्तन समारोह तीर्थक्षेत्र हस्तिनापुर में आयोजित होना निश्चित हुआ है, इसलिए मुजफ्फरनगर समाज द्वारा 7 फरवरी 2021 को चातुर्मास मंगल कलश निष्ठापन समारोह का भव्य आयोजन किया गया। द्वय मुनिराज के विहार की बेला नजदीक आने से उदास हो रहे भक्तों के मन को, इस समारोह ने उत्साह से भर दिया।

      इस समारोह में मुजफ्फरनगर ही नहीं दिल्ली, मेरठ और आसपास के क्षेत्रों से भी भक्तजन पहुंचे। कार्यक्रम में चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवल, पाद प्रक्षालन आदि मांगलिक क्रियाओं के साथ भक्तजनों ने द्वय मुनिराज की भक्ति भाव के साथ पूजा, अर्चना की और अर्ध्य समर्पित कर अपने को धन्य किया। समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम सभी के आकर्षण का केंद्र रहे। नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा अर्हं ध्वनि के साथ पंच मुद्रा और “जो हो सो हो” … भजन पर दी गई प्रस्तुति ने तो सबका मन मोहित कर लिया। महिला मंडल द्वारा श्री वर्धमान स्तोत्र के पदों पर प्रस्तुत नृत्य नाटिका ने भी सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी  महाराज की आवाज में श्री वर्धमान स्तोत्र के संस्कृत व हिंदी पदों के साथ, उसके अर्थ और भावों का महिला मंडल की सदस्यों ने नाटिका के रूप में मंचन किया। यह प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर, नया और अनुकरणीय प्रोग्राम रही। इसके साथ ही.. “मेरे भगवन मुझे एक बार आगाह कर देना”.. भजन के साथ गुरुदेव के चरणों में अपने भक्तिभाव के पुष्पों को समर्पित किया।

           ग्रन्थराज तत्त्वार्थ सूत्र के आठवें अध्याय पर  हुए पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के प्रवचनों पर आधारित  कृति.. कर्म बन्ध विज्ञान का विमोचन भी इस शुभ अवसर पर हुआ ।

       कार्यक्रम के अंत में पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने अपने उदबोधन में समाज के द्वारा किए गए शुभ कार्यों व सराहनीय प्रयासों के लिए उनका उत्साहवर्धन किया। मुनि श्री की मंगल वाणी और आर्शीवचन सुन सम्पूर्ण मुजफ्फरनगर समाज प्रसन्नता व हर्ष से भर गया। पूरे समाज के लिए ये अनमोल क्षण रहे।  इसके साथ ही पूज्य मुनिश्री ने अर्हं ध्यान के बारे में बताया किस प्रकार यह प्राचीन परम्परा से मिले ध्यान का ही एक नया version है और वर्तमान समय में इसका क्या महत्व है। 27 फरवरी 2021 को तीर्थक्षेत्र हस्तिनापुर में आयोजित होने वाले पिच्छी परिवर्तन के बारे में भी मुनि श्री ने समाज को प्रेरणा दी और इसी उत्साह एवं भक्तिभाव के साथ , आगे भी शुभ कार्यों में तत्पर रहने का मंगल आर्शीवाद दिया।

उदबोधन के अन्त में पूज्य मुनि श्री की आवाज में ..कुछ हो या ना हो मेरा मन दुर्बल ना हो.. मंगल कामना रूप भजन सुनकर, भक्तजन आनन्द और हर्ष से झूम उठे। इस प्रकार चातुर्मास कलश निष्ठापन का यह शुभ समारोह बहुत ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ सानन्द संपन्न हुआ।

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