परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र वाचना
अर्हं स्वधर्म शिविर में परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की मंगल वाणी में तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-1 पर हुई वाचना श्रोताओं को इतनी ज्यादा पसन्द आई कि आगे भी तत्त्वार्थ सूत्र की निरन्तर वाचना के लिए, उन्होंने पूज्य मुनि श्री से निवेदन किया। ज्ञान पिपासुओं पर अपनी कृपा बरसाते हुए पूज्य मुनि श्री ने उनका निवेदन स्वीकार किया और तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय-2 की वाचना का शुभारंभ हुआ।
तत्त्वार्थ
सूत्र अध्याय- 2 पर हुए पूज्य मुनि श्री के प्रवचनों ने सूत्रों में छिपे हुए ज्ञान के साथ, अनेक रहस्यों को भी उजागर किया। ज्ञानावरणी कर्मों का क्षयोपशम कैसे हो सकता है? सिद्धांत एवं अध्यात्म ग्रंथों में अन्तर, योग एवं उपयोग में अन्तर,अभव्य और अभव्य समान भव्य जीवो में क्या अंतर है? यह सब इन प्रवचनों के माध्यम से स्पष्ट रूप से समझ में आया।
प्रवचन 19 (20-Sep-2020)
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प्रवचन 18 (19-Sep-2020)
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प्रवचन 17 (18-Sep-2020)
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प्रवचन 16 (17-Sep-2020)
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प्रवचन 15 (16-Sep-2020)
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प्रवचन 14 (15-Sep-2020)
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प्रवचन 13 (14-Sep-2020)
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प्रवचन 12 (13-Sep-2020)
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प्रवचन 11 (12-Sep-2020)
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प्रवचन 10 (11-Sep-2020)
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प्रवचन 9 (10-Sep-2020)
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प्रवचन 8 (09-Sep-2020)
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प्रवचन 7 (08-Sep-2020)
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प्रवचन 6 (07-Sep-2020)
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प्रवचन 5 (06-Sep-2020)
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प्रवचन 4 (05-Sep-2020)
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प्रवचन 3 (04-Sep-2020)
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प्रवचन 2 (03-Sep-2020)
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प्रवचन 1 (02-Sep-2020)
स्थावर जीवों के बारे में ऐसा ज्ञान जिसको सामान्य श्रावक शायद ही जानते हों, कब पृथ्वी, जल, अग्नि आदि स्थावर जीव सहित और जीव रहित होते हैं? साधारण व प्रत्येक वनस्पति की क्या पहचान है? इंद्रियों को आत्मा से अलग करके भेद ज्ञान कैसे कर सकते हैं? मन, बुद्धि और दिल आदि के कार्य पर किसका प्रभाव रहता है, आदि विषय इन प्रश्नों के माध्यम से बहुत सरल, रोचक और व्यवस्थित रूप से स्पष्ट होते जाते हैं।
पूज्य मुनि श्री ने इन विषयों को सरल व रुचिकर बनाकर समझाया ही नहीं, बल्कि सूक्ष्म विवेचन करते हुए यह तक स्पष्ट किया कि किसी सूत्र में इस शब्द को पहले क्यों लिखा गया है। अदभुत विशेषता लिए हुए यह प्रवचन निश्चित ही श्रोताओं के लिये एक वरदान के समान हैं।