देह इक दीप है माटी का अरसे से बुझा
ज्योत आतम की जले तो कोई बात बने ।।1।।
घर का कचड़ा तो कई बार जला गलियों में
मन का कुछ मैल जले तो कोई बात बने ।।2।।
यूँ तो कई बार दिवाली आई ओ गई
ज्ञान का दीप जले तो कोई बात बने ।।3।।
दीप में तैल भरा और बाती भी रही
एक चिनगारी जले तो कोई बात बने ।।4।।
कहीं खुशियाँ हैं और गम का कहीं अंधियारा
दीप हर घर में जले तो कोई बात बने ।।5।।
किसी को रोशनी से भर न सके क्या मतलब
दीप से दीप जले तो कोई तो बात बने ।।6।।
Ati sunder bhajan
जीवन की सच्चाई से भरा भजन गुरु मुख से सुनकर बहुत ही अच्छा लगा, गुरु के सम्यक ज्ञान को बारम्बार नमन।
सुंदर भजन है, और उसमे पूज्यश्री के आवाज मे तो सोने पे सुहागा