आओ बच्चो तुम्हे सिखायें णमोकार का ध्यान हम।
णमोकार का ध्यान लगाके बन जाएँ भगवान हम।।
वंदे जिनवरम्, वंदे श्री अर्हम्।।
इसी मंत्र का ध्यान लगाके अंजन चोर बना भगवान।
इसी मंत्र से पाया उसने गगन गामिनी विद्यायान।
पढ़ो कहीं भी किसी समय भी कैसा भी हो मन का हाल।
इसको जपने से थम जाते तूफां आंधी और भूचाल।
श्रद्धा से अब ध्यान लगाके शक्ति आजमायें हम।। णमोकार…
वंदे जिनवरम्, वंदे श्री अर्हम्।।
ऋद्धिधारी ऋषिवर मुनिवर अरु गणधर परमेष्ठी जब।
णमोकार का ध्यान लगाके पा जाते हैं शक्ति सब।
मरण समाधि यही कराता केवलज्ञान प्रदाता है।
इससे बढ़कर नहीं जहाँ में कोई रक्षक त्राता है।
श्वास-श्वास में इसे बसाकर अब करलें विश्वास हम।। णमोकार…
वंदे जिनवरम्, वंदे श्री अर्हम्।।
जीवन्धर ने मंत्र सुनाया मरते-मरते श्वान को।
देव बना फिर कहने आया जीवक से एहसान को।
पारस प्रभु ने यही सुनाया मरते नाग नागिनी को।
और बैल भी यही मंत्र सुन राम बने भगवान वो।
क्यों न बने फिर सब मिलकर के इक अच्छे इंसान हम।। णमोकार…
वंदे जिनवरम्, वंदे श्री अर्हम्।।