ओऽऽ छाये हुए मेघोऽऽऽ ओऽऽ बहती हवाओऽऽऽ
संदेश लेकर तुम चले जाओ जहाँ बैठे हों गुरुदेव मेरे
उनको छूकर के आओऽऽऽऽ-3
जब हों सामायिक में बैठे, उनकी सांसों में घुल जाना
जब पढ़ें स्वयंभू श्री गुरुवर, उनके स्वर में तुम मिल जाना
जब वों लें पिच्छी हाथ में तो, आगे-आगे तुम हो जाना
इतना ही कहना गुरु से ऽऽऽ
दर्शन दिलाओ….दर्शन दिलाओ….दर्शन दिलाओ….
कहना गुरु उनको बुलाओ….
ओऽऽ छाये हुए मेघोऽऽऽऽ….
जब वो भोजन में ठाड़े हों, चुपचाप उन्हें तुम लख लेना
जो भी लगता अनुकूल उन्हें, तुम हँस-हँस करके दे देना
आए यदि कोई बाल जन्तु, तुम दूर उड़ाकर ले जाना
मुट्ठी भर खाने वाले के, सब विघ्न दूर करके आना
बाद में कहना गुरु जिनवाणी सुनाओ
कहना गुरु उनको बुलाओ….
ओऽऽ छाये हुए मेघोऽऽऽऽ….