दुनिया में तरक्की

दुनिया में तरक्की की नुमाइश तो देखिये
इंसान की इस दौर में ख्वाहिश तो देखिये

गेहूं, अनाज बीज परदेश जा रहे
परदेस से फिर देस में ये खाद ला रहे
खेतों को खत्म करने की साजिश है चल रही
मुर्गी के दाने मछलियों की खेती बढ़ रही
अब मांस के व्यापार से यह देश चलेगा
पशु – पक्षियों के खून से ये देश सजेगा
हर रोज भ्रष्ट व्यक्तियों की लिस्ट खुल रही
पेटेंट देश की हर एक चीज हो रही
सरकार की हर रोज फरमाइश तो देखिये
दुनिया में तरक्की……..

शिक्षा के नाम पर यहाँ व्यापार चल रहे
कॉलेज में होटल क्लबों के खेल चल रहे
शादी से पहले लड़कियों के गर्भ गिर रहे
अब गर्भ में ही भ्रूण कत्ले आम हो रहे
ममता ही माँ की मर गयी तो पुत्री क्या करे?
संस्कार ही नहीं मिले तो पुत्र क्या करे?
बेटी, बहू, माँ-बाप का लिहाज मिट गया
टी.वी. के नाटकों को देख धर्म लुट गया
विज्ञान के इस युग की पैदाइश तो देखिये
दुनिया में तरक्की……..

बेरोजगार बढ़ रहा है यंत्र बढ़ रहे
गांजा-शराब के यहाँ ठेके हैं खुल रहे
हर चीज यहाँ पैकेटों में बंद आ रही
गंदी सड़ी-सी चीज में भी खुशबू आ रही
बोतल में बंद पानी में तेजाब बिक रहा
हर आदमी भी शान से पीकर के हंस रहा
अभियान चल रहे हैं कि “पानी बचाइये”
सब भ्रष्ट हैं पर उन्नति के गीत गाइये
बाजार में हर चीज की प्राइस तो देखिये
दुनिया में तरक्की……..

Posted in Bhajan.

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