धीरे-धीरे मजबूती से, बच्चो आगे बढ़ना सीखो।
वृक्षों सी तुम धरती भीतर, अपनी धाक जमाना सीखो।।1।।
चाहे कोई भी मौसम हो, तुम उसको अपनाना सीखो।
सब कुछ सहकर दृढ़ता रखकर, वृक्षों जैसा बढ़ना सीखो,
धीरे-धीरे …………।।2।।
पतझड़ आने पर मत डरना, नव कोंपल का यह है गहना।
सुख दुख को सम भाव से सहना, वृक्षों से बच्चो तुम सीखो,
धीरे-धीरे …………।।3।।
फूल फलों से जब लध जाओ, सबको सब कुछ देते जाओ।
वृक्षों सा नीचे झुक करके, तुम ऊँचाई पाना सीखो,
धीरे-धीरे …………।।4।।
चाहे कोई पत्थर मारे, या कोई हथियार से काटे।
तुम वृक्षों से सबके हित में, बच्चो भाव जगाना सीखो,
धीरे-धीरे …………।।5।।
बिना स्वार्थ के बांटो खुशबू, सबको मुस्कानों से भर तू।
आंधी तूफां में भी बच्चों, वृक्षों सा लहराना सीखो,
धीरे-धीरे …………।।6।।