मेरे भगवन् मुझे एक बार

मेरे भगवान मुझे इक बार तू आगाह कर देना

जभी हो शाम जीवन की मुझे इतलाह कर देना।

मुझे मौका बस इक देना कि मैं अफसोस कर पाऊँ

हुई जो गलतियों मुझसे उन्हें मैं तुमसे कह पाऊँ

मेरी आँखों में हों आंसू हो पश्चाताप अपने पर

मैं अपनी मान लूं गलती चला सद् राह पर देना

जभी हो शाम…..

हुआ गीला मेरा तन तो कई सौ बार पानी से

नहीं भींगा हृदय मेरा कभी भी जैन वाणी से

मुझे वो भक्ति सिखला दो जो मन के मैल धो डाले

न छूटे ध्यान चरणों का नहीं गुमराह कर देना

जभी हो शाम…..

मैं तज दूँ मोह इस तन का, नहीं भोजन में मन लाऊँ 

पीऊँ शुद्धात्म अमृत को उसी के गीत नित गाऊँ

मेरे मन साम्य इतना हो रहे ना वेदना मन में

रहे बस ध्यान जिनवर का गमों को स्याह कर देना

जभी हो शाम…..

न जाने कौन से भव में मैं मुक्ती राह को पाऊँ

न जाने फिर कहाँ तेरा गुरू मैं दर्श पा पाऊँ

करो करुणा मेरे ऊपर मुझे सम्बोधि को देओ

रहे तेरी ही मन भक्ति यही बस चाह भर देना

जभी हो शाम…..

Posted in Bhajan.

Comments will appear after approval.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.