अपना भाग्य स्वयं बनाना सिखाती है- यह कृति।
इसके साथ ही भविष्य में अच्छे जन्म और अच्छी गति को प्राप्त करने का मार्ग भी दिखाती है जीवन के लिए उपयोगी यह कृति– मनोविज्ञान

Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.
.
हमारे द्वारा अच्छे व बुरे कार्य करके अपनी आत्मा पर बांधे गए कर्म, हमारे जीवन में रिमोट की तरह कार्य करते हैं। यें ही हमें रुलाते हैं, यें ही हमें हंसाते हैं, यें ही हमें कभी सुखी बनाते हैं, तो कभी दुखी बनाते हैं, यें ही हमें धनवान, बुद्धिमान बनाते हैं तो कभी हमें निर्धन और अनेक अभावों से ग्रसित कर देते हैं।
अब प्रश्न यह उठता है? यें कर्म हैं कौन? यें कहाँ से आ गए? कैसे हमें अपने अनुसार घुमा लेते हैं? हम क्यों इनके गुलाम बने हुए हैं? इन सभी सवालों का जवाब, इस कृति में मिलता है। क्यों हमारे कार्यों में बाधाएं और विघ्न आ जाते हैं? क्यों एक मनुष्य नरक चला जाता है? क्यों पशु-पक्षी बन जाता है? किस कारण देव बन जाता है और क्या कारण होते हैं, एक सामान्य मनुष्य तीर्थंकर भगवान तक बन जाता है। इन सभी जिज्ञासाओं का समाधान भी इस कृति में मिलता है।
इतना ही नहीं, हम कैसे भविष्य के लिए और आने वाले जन्मों के लिए अपना अच्छा भाग्य बना सकते हैं? दुखों और आपदाओं से बच सकते हैं, यह मैनेजमेंट भी इस कृति को पढ़कर सीखा जा सकता है। निष्कर्ष रूप में, इस मनुष्य जन्म को कैसे सफल बनाएं? यह रहस्य, इस अमूल्य कृति को पढ़कर समझ आ जाता है।